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विपरीत परिस्थितियों में तो धैर्य छोड़ना ही नहीं चाहिए, वर्ना बड़ा नुकसान हो सकता है

कहानी - एक हवाई जहाज में आग लग गई थी। पायलट घबरा गए और सभी यात्री भी परेशान हो गए थे। हवाई जहाज में चिखने-चिल्लाने की आवाजें आने लगीं और स्टाफ भी डर गया था।

उस जहाज में जवाहरलाल नेहरू भी सफर कर रहे थे। हवाई जहाज के स्टाफ से कुछ लोग नेहरू जी के पास पहुंचे। नेहरू जी पूरा दृश्य देखकर समझ गए थे कि कोई बड़ी आपत्ति आ गई है।

हवाई जहाज के स्टाफ और पायलट ने नेहरू जी से कहा, 'संकट बहुत बड़ा है, समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए?'

नेहरू जी ने कहा, 'डरने की जरूरत नहीं है, जो होगा, वो तो होगा। मुझे लगता है कि इस समय आपको अपनी ऊर्जा डरने में नहीं, प्रयासों में लगानी चाहिए। जो होना है, वह होकर रहेगा, लेकिन हमें जो करना है, वह श्रेष्ठ करना है।'

इतना बोलकर नेहरू जी पुस्तक पढ़ने लगे। नेहरू जी से हिम्मत लेकर पायलट दल जहाज को बचाने के प्रयासों में जुट गया और उस जलते हुए हवाई जहाज को एक खेत में उतार दिया। खेत में जहाज उतरने के बाद सभी लोग सुरक्षित थे।

जब सभी लोग जहाज से बाहर निकले तो नेहरू जी के चेहरे पर वही सहजता नजर आ रही थी जो उस समय भी थी, जब चालक दल उनके पास समस्या बताने पहुंचा था।

सीख - नेहरू जी ने हमें ये सीख दी है कि धैर्य कभी न छोड़ें। खासतौर पर विपरीत परिस्थितियों में तो धैर्य बनाए रखें। धैर्य बना रहे, इसके लिए कोई अच्छी किताब पढ़ें, भगवान के नाम जपें। अपनी हिम्मत को दूसरों की हिम्मत बनाएं और प्रेरणा दें कि सब ठीक होगा।

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