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हाइटैक होगी पुलिस:न्यूजीलैंड से आएगा डिजिटल वायरलेस हेंडसेट, वॉइस रिकॉर्ड होगी, लोकेशन भी ट्रेस कर सकेंगे, इंदौर पुलिस को मिलेंगे 1 हजार सेट

MP पुलिस के हाथ में जल्द ही न्यूजीलैंड में बना और विकसित किया गया वायरलेस सेट नजर आएगा। इस हैंडसेट का हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों न्यूजीलैंड में तैयार किये गए हैं। पूरे प्रदेश में नए हैंडसेट खरीदने के लिए करीब 10 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। अकेले इंदौर में 1 हजार सेट की बदले जाएंगे।

कई खूबियों वाला है हैंडसेट
- नया वायरलेस हैंडसेट डिजीटल फ्रीक्वेंसी पर काम करता है। इससे आवाज बिल्कुल साफ आएगी। कोई बाहरी व्यक्ति पुलिस की बात नहीं सुन सकेगा। अभी पुलिस के पास उपलब्ध हेंडसेट 800 मेगाहर्ट्ज पर काम करता है। नया हेंडसेट कम फ्रिक्वेंसी पर काम करता है।
- नए हेंडसेट की लोकेशन ट्रेस की जा सकेगी। इसमें वॉइस रिकॉर्डर भी लगा होगा। पुलिस अफसरों या कर्मचारियों द्वारा की गई बातचीत रिकॉर्ड हो सकेगी। इससे पुलिस जवान या अफसर केवल काम की ही बात कर सकेंगे।
- अभी किसी भी पुलिस जवान या अधिकारी की वर्तमान लोकेशन नहीं पता लगाई जा सकती है। लेकिन नए सिस्टम में अपनी सही लोकेशन नहीं बताने पर संबंधित वायरलेस सेट की लोकेशन ट्रेस हो सकेगी। यहां की गई बात की रिकॉर्डिंग हो सकती है।
- सेट खो जाने या कहीं गुम हो जाने पर उसे कंट्रोल रूम से ही आसानी से डिसेबल किया जा सकेगा। जिससे कोई इसका दुरूपयोग नहीं कर पाएगा।
- नए सेट की फ्रीक्वेंसी को कोई भी व्यक्ति मैच नहीं कर सकेगा।

पीएचक्यू का प्रस्ताव 10 करोड़ का
पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि इस नए वायरलेस के संबंध में पीएचक्यू ने प्रस्ताव तैयार सरकार को भेज दिया है। नए सेट न्यूजीलैंड से खरीदे जाना हैं। इसके लिए राज्य स्तर पर 10 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इंदौर में एक हजार सेट बदले जाएंगे।

इनके बदलेंगे वायरलेस सेट
वर्तमान में कमिश्नर प्रणाली में शहर के सभी थानों के साथ, कियोस्क अधिकारियों व बीट के जवानों, सभी डायल 100, चार्ली, बीट प्रभारी और ट्रैफिक स्टाफ को भी ये सेट आधिकारिक कम्यूनिकेशन के लिए दिए जाएंगे।

अभी बैटरी, सिग्नल और आवाज की समस्या
पुलिस के पास बरसों पुराने हो चुके इन वायरलेस सेट में सबसे बड़ी समस्या बैटरी की है। कई बार आधे घंटे में ही यह बैटरी खत्म हो जाती है। इससे पुलिस को कम्युनिकेशन में परेशानी आती है। वायरलेस सेट में सिग्नल और वॉइस की समस्या भी बड़ी परेशानी है। इससे जवानों को बार-बार मैसेज कहना-सुनना पड़ता है।

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