अभी माघ महीना खत्म होने में पांच दिन बचे हैं। इन दिनों में तीन महत्वपूर्ण पर्व आएंगे। जिनमें 12 फरवरी को जया एकादशी, 13 को भीष्म द्वादशी और 16 फरवरी को माघी पूर्णिमा रहेगी। इन तीनों पर्वों में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा की जाती है। साथ ही तीर्थ स्नान और दान करने की परंपरा भी ग्रंथों में बताई गई है। माघ महीने में किए गए तीर्थ स्नान से जाने अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही जरुरतमंद लोगों को दान देने से कई गुना शुभ फल मिलता है।
जया एकादशी (12 फरवरी): माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है। माघ महीने के दौरान इस व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म होते हैं। इस दिन तिल का दान करने से कई यज्ञों के फल जितना पुण्य मिलता है। विद्वानों का कहना है कि इस दिन व्रत और पूजा से मोक्ष मिलता है।
भीष्म द्वादशी (13 फरवरी): भीष्म द्वादशी पर्व माघ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। ये व्रत भीष्म पितामह के निमित्त किया जाता है। इस दिन महाभारत के भीष्म पर्व का पाठ किया जाता है। साथ ही भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। माघ महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी पर भीष्म पितामह ने शरीर छोड़ा था। लेकिन उनके लिए तर्पण, श्राद्ध और अन्य धार्मिक कर्मकाण्ड द्वादशी तिथि पर भी किए जाते हैं।
माघ पूर्णिमा (16 फरवरी): माघ महीने के आखिरी दिन जब चंद्रमा मघा नक्षत्र में सूर्य के सामने सिंह राशि में होता है तब ये पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर तीर्थ-स्नान और दान करने का महत्व ग्रंथों में बताया गया है। ये दिन भगवान की पूजा के साथ ही ऋषियों और पितरों को खुश करने के लिए भी खास माना जाता है। इस दिन किए गए तीर्थ-स्नान और तिल के दान से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
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