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18 मार्च तक रहेगा फाल्गुन मास:भक्ति करने और आनंद में रहने का महीना है फाल्गुन, इस माह में पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान भी जरूर करें

अभी फाल्गुन मास चल रहा है। ये हिन्दी पंचांग का अंतिम माह है। इस महीने में महाशिवरात्रि और होली दहन जैसे पर्व आएंगे। फाल्गुन में शिवरात्रि भक्ति करने का और होली आनंद मनाने का पर्व है। इस समय वातावरण में न तो अधिक सर्दी है और न ही अधिक गर्मी है। ऐसे में मौसम सुहावना रहता है। इस मौसम में तीर्थ दर्शन करने से ज्यादा सुकून मिलता है। इस महीने में मौसम अनुकूल रहता है। इन दिनों में ध्यान करते समय एकाग्रता जल्दी बन सकती है। इसलिए फाल्गुन माह में रोज कुछ देर ध्यान जरूर करें। ध्यान करने से मन शांत होता है और नकारात्मकता दूर होती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार फाल्गुन मास में शिवरात्रि (1 मार्च) मनाई जाती है। इस पर्व के संबंध में मान्यता है कि प्राचीन समय में एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया था कि दोनों में से कौन श्रेष्ठ है। विवाद काफी बढ़ गया था, उस समय इन दोनों के बीच शिव जी एक अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। शिव जी ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी का विवाद शांत करवाया था। जब ये घटना हुई थी, उस दिन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इसी वजह से इस तिथि पर शिवरात्रि मनाई जाती है। शिवरात्रि को लेकर एक अन्य मान्यता है कि इस तिथि पर शिव जी और देवी पार्वती का विवाह हुआ था।

कम से कम से एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन जरूर करें

शिवरात्रि भक्ति करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन रहता है। इस दिन की गई पूजा-पाठ जल्दी सफल हो सकती है। शिव जी की पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। शिवरात्रि पर किसी ऐसे मंदिर में दीपक जलाएं जो एकांत में हो। इस पर्व पर अपने क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले शिव मंदिर में दर्शन करें। अगर आप बारह ज्योतिर्लिंग में से किसी भी मंदिर में दर्शन कर सकते हैं तो जरूर करें।

पुरानी चीजें होती हैं खत्म और फिर होती है नई शुरुआत

फाल्गुन मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर होलिका दहन (18 मार्च) होगा। रंगों का ये पर्व उत्साह और आनंद का प्रतीक है। होली का संदेश यही है कि हमें प्रकृति के और जीवन के सभी रंगों का आनंद लेना चाहिए। इस समय में पेड़ों से पत्ते गिरने लगते हैं और नए पत्ते आने लगते हैं। प्रकृति हमें बताती है कि जब पुरानी चीजें खत्म होती हैं, तब ही नई शुरुआत होती है।

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