237 करोड़ का एमजीएम मेडिकल कॉलेज का सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल। पहले कोविड के कारण काम पूरा होने में देरी हुई। अब सुविधाएं और डॉक्टर न होेने से इलाज नहीं मिल रहा है। 402 बेड का अस्पताल है, लेकिन 50 मरीज भी भर्ती नहीं हैं। आधा दर्जन से ज्यादा बड़ी सर्जरी में से इक्का-दुक्का ही शुरू हुईं। डॉक्टरों के 147 पदों में से 122 खाली हैं। कॉलेज प्रशासन चार बार विज्ञापन निकाल चुका है, लेकिन नहीं भर पा रहे हैं।
यहां प्लास्टिक सर्जरी सहित 11 ब्रांच शुरू की जा रही हैं। अधिकारियों के अनुसार 80 करोड़ इन ब्रांचों के संसाधन जुटाने में खर्च होना हैं। पैसा कम पड़ रहा है, इसलिए कई उच्च स्तरीय उपकरण नहीं खरीदे जा सके। यहां पीजी, डीएम, एमसीएच कोर्स शुरू होना है, लेकिन देरी के कारण अगले साल भी ये शुरू नहीं हो पाएंगे।
सुपर फ्लॉप इलाज से शुरुआत, न ऑपरेशन की स्पेशिएलिटी मिल रही न ही इलाज की
- कार्डियोलॉजी, कार्डियो थोरेसिक ओपन हार्ट सर्जरी शुरू नहीं। उपकरण नहीं।
- न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी- एमवायएच में ऑपरेशन कर रहे हैं।
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट बोनमेरो यूनिट भी बनाई जाना है, लेकिन फिलहाल कोई प्लान नहीं।
- यूरोलॉजी, यूरो सर्जरी व नेफ्रोलॉजी डायलिसिस शुरू, सामान का इंतजार।
- प्लास्टिक सर्जरी छोटे ऑपरेशन ही हो रहे। जरूरी उपकरण आना बाकी हैं।
कंपनी ने 20 करोड़ रुपए के उपकरण नहीं भेजे
237 करोड़ के प्रोजेक्ट में 80 करोड़ के उपकरण खरीदे जाने थे। कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि तीन साल पहले ही उपकरण खरीदी के आदेश केंद्र सरकार ने अधिकृत एजेंसी हाइट्स को दिए थे। कंपनी ने 60 करोड़ के उपकरण ही भेजे।
कुछ दिन में अस्पताल पूरी क्षमता से चलेगा
प्लास्टिक, न्यूरोसर्जरी सहित कुछ विभागों में ऑपरेशन शुरू हो गए हैं। अभी गेस्ट्रो सर्जन व गेस्ट्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति बाकी है। खाली पदों के लिए फिर से विज्ञापन निकालने जा रहे हैं। कुछ दिनों में अस्पताल पूरी क्षमता से चलेगा।
- डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
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