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सागर की गौशालाओं से रिपोर्ट:पड़रिया गौशाला में ठंड-भूख-प्यास से मरीं 30 गाय, रिछावर में 22 ने दम तोड़ा, नोंच रहे गिद्ध

परसोरिया स्थित गौशाला में गायें भूख प्यास से तड़प कर दम तोड़ रही हैं।

सागर जिले में ग्राम पंचायत और महिला स्व सहायता समूहों द्वारा संचालित गौशालाओं में गायो  की हालत ठीक नहीं है। ठंड और भूख की वजह से यहां हर दूसरे-तीसरे दिन औसतन एक गाय दम तोड़ रही है। इनमें बछड़ों से लेकर दूध देने वाली गाय और वृद्ध गाय भी शामिल हैं। इसकी मुख्य वजह शासन द्वारा गौशालाओं के संचालन के लिए राशि देने में 5 से 6 माह की देरी करना भी है। बजट के अभाव में महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं उधार लेकर इनका संचालन कर रही हैं। कई जगह तो समूह की महिलाओं ने उनके संचालन से ही हाथ खड़े कर दिए हैं। यही वजह है कि देखरेख के अभाव से भी गायों की मौत हो रही है।

सभी गौशालाओं के लिए राशि भेजी गई है

जिला पंचायत सीईओ क्षितिज सिंघल शुक्रवार को ही सभी गौशालाओं के लिए राशि भेजी गई है। जिले की एक भी गौशाला में भूसा, पानी की कमी नहीं है। गाय-बछड़ों की मौत ठंड से हुई या क्या वजह है यह पशु चिकित्सा विभाग से पता करेंगे। गौशालाओं की सतत मानीटरिंग की जा रही है।

पड़रिया : पूर्व जिला सीईओ ने गोद लिया था, सिर्फ 3 दिन के लिए ही बचा भूसा

सागर गढ़ाकोटा रोड पर पड़रिया पंचायत की गौशाला है। इसे तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ डॉ. इच्छित गढ़पाले ने गोद लिया था। उनके ट्रांसफर के बाद करीब 5 माह से यहां की सुध लेने कोई नहीं गया। वर्तमान में यहां पर करीब 100 गाय हैं। समूह की सचिव कौशल्या बाई आदिवासी ने बताया कि करीब 30 गए इसी ठंड में मर गईं। इनमें से कुछ गाय ऐसी भी थी जो दूध भी देती थीं।

कुछ ग्यावन थीं तो कुछ बेहद बूढ़ी हो चुकी थीं। 5 माह से राशि नहीं मिली है। जिसके चलते अब सिर्फ 10 क्विंटल भूसा ही बचा है। जो बमुश्किल 3 दिन ही चलेगा। ऐसे में हम गायों को पास में ही खुले में ले जाते हैं ताकि वह वहां भी चर सकें। उन्होंने बताया जो गाय मर जाती हैं उन्हें ट्रैक्टर से पास में ही फिकवा दिया जाता है। 200 रुपए प्रति फेरा ट्रैक्टर वाले लेते हैं। हालांकि मौके पर कोई कंकाल नहीं मिला पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि कुत्ते नोच कर कंकाल भी यहां-वहां ले जाते हैं। गौशाला में पानी का प्रबंधन मिला साथ ही यहां सब्जी भाजी भी महिलाओं द्वारा लगाई गई है।

रिछावर : समूह की महिलाओं ने संचालन से हाथ किए दूर, ग्रामीण वापस ले गए गाय

सागर जनपद अंतर्गत आने वाली रिछावर ग्राम पंचायत की गौशाला में महज 11 गाय ही हैं। इनमें एक बछड़ा भी शामिल है। मौके पर मौजूद रामप्यारी अहिरवार ने बताया कि वे समूह की सदस्य हैं। 5 माह से राशि नहीं मिली है। इसके कारण से समूह के लोगों ने इसके संचालन से दूरी बना ली है। गाय को देवताओं का अंश मानते हुए मैं और मेरे पति यहीं पर रह कर साफ-सफाई और चौकीदारी कर रहे हैं। हमें भी पिछले 10 माह में सिर्फ 5000 रुपए ही मजदूरी के सरपंच से मिले हैं। हमारी कोई सुनने वाला ही नहीं है। अब तो यही लगता है कि इन गायों को भी कोई ले जाए ताकि हम भी जिम्मेदारी से फ्री हों।

उन्होंने बताया करीब 50 से 60 गाय गौशाला में थीं। जिनमें से करीब 20 से 22 गाय ठंड के दौरान मर गईं। जबकि कुछ गायों को ग्रामीण ले गए। सरपंच अन्नपूर्णा महेंद्र सिंह ने बताया महिला समूह द्वारा द्वारा राशि नहीं मिलने के कारण संचालन करने से मना किया जा रहा है। ऐसे में इसके संचालन के लिए हम जल्दी ही नई व्यवस्था करवाने जा रहे हैं।

न पशु चिकित्सक आते हैं ना पैसे मिलते हैं

1. पशु चिकित्सक नहीं आते हैं

पशु चिकित्सा विभाग का यह दायित्व है कि सभी गौशालाओं में चिकित्सक नियमित रूप से जाते रहें, ताकि गौवंश को जरूरत के मुताबिक इलाज मिल सके। बावजूद इसके कहीं पर भी नियमित रूप से चिकित्सक नहीं जा रहे हैं।

2. पैसे नहीं मिलने से संचालन में दिक्कतें

पशुओं के आहार के लिए प्रतिदिन 20 रुपए प्रति गौवंश के हिसाब से देना तय किया गया है। परंतु यह राशि 5 से 6 माह बाद भी नहीं मिल पाई है। जुलाई-अगस्त का पैसा अब जा कर दिया जा रहा है।

3. डिजाइन में खामी

गौशाला के निर्माण के डिजाइन में ही बड़ी खामी है। टीन शेड और दीवार के बीच में करीब 2 से 3 फीट का एरिया खुला रखा गया है। ऐसे में यहां से सर्दियों के मौसम में तेज ठंड आती है।

समूहों की समस्याएं पशु चिकित्सा और पंचायत विभाग को बताते हैं

करीब 24 गौशालाओं के संचालन की बागडोर महिला समूहों के हाथ में है। जुलाई-अगस्त माह की राशि 2 दिन पहले ही सभी समूहों के खाते में भेजी गई है। समूहों की जो भी समस्याएं होती हैं, उनके निराकरण के लिए हम पशु चिकित्सा विभाग व पंचायत विभाग से भी संपर्क कर निराकरण कराते हैं।

- अनूप तिवारी, प्रभारी डीपीएम, राज्य आजीविका मिशन

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