पहला डोज लगवाने में नंबर वन इंदौर बच्चों, बुजुर्ग, फ्रंट लाइन और हेल्थ वर्कर के बूस्टर में पिछड़ रहा है। अब भी 15 से 17 साल के 44 हजार बच्चों को पहला डोज नहीं लग पाया है। ये बच्चे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भी नहीं मिल रहे है। वहीं 3 जनवरी को जिन 37 हजार बच्चों ने पहला डोज लगवाया था, उन्हें सोमवार को दूसरा डोज लगना था, लेकिन सिर्फ 4609 बच्चे यानी करीब 15 फीसदी को यह लग पाया।
वहीं बूस्टर डोज लगवाने में पुलिस, नगर निगम और फोर्स का अमला पीछे है। बूस्टर डोज में बुजुर्गों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। टीकाकरण में धीमी रफ्तार को लेकर सोमवार को हुई टीएल बैठक में सुबह कलेक्टर मनीष सिंह ने एडीएम को सख्ती करने के निर्देश दिए। इसके बाद शाम को वैक्सीनेशन में लापरवाही सामने आने पर 5 स्कूलों को सील कर दिया गया।
25 से 40 प्रतिशत बच्चों को नहीं लगवाए टीके, 5 स्कूल सील
एडीएम राजेश राठौड़ छावनी स्थित बेगम खान बहादुर विद्यालय पहुंचे। जांच में पाया कि यहां 15 से 17 साल के 414 बच्चे में से 116 का टीकाकरण नहीं हुआ। इसी तरह अपर कलेक्टर अजय देव शर्मा टैगोर पब्लिक स्कूल पहुंचे। यहां 310 में से 208 को ही वैक्सीन लग पाया। 102 बच्चे बाकी हैं। इसके चलते प्राचार्य का कार्यालय सील किया।
एडीएम पवन जैन छावनी संकुल के सेंट अर्नोल्ड स्कूल पहुंचे। यहां 741 में से 647 का टीकाकरण हुआ, 94 बच्चे बाकी हैं। इस स्कूल को भी सील कर दिया गया। अपर कलेक्टर आरएस मंडलोई पलासिया स्थित सेंट उमर हायर सेकंडरी स्कूल पहुंचे और सील किया। यहां 953 में से 235 बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है।
सख्ती- बूस्टर डोज के बाद ही मिलेगा वेतन, बच्चों को एसडीएम ढूंढेंगे
कलेक्टर ने सख्ती करते हुए कहा है कि जिन फ्रंटलाइन और हेल्थ केयर वर्कर ने बूस्टर डोज नहीं लगवाया उनका वेतन रोका जाएगा। इसे लगवाने के बाद ही दिया जाएगा। वहीं 15 से 17 साल के बच्चों को अब एडीएम ढूंढेंगे। गांवों में यह काम सीएमओ और पंचायत सचिव करेंगे। एडीएम को दो स्कूल हर दिन जांचने के लिए कहा गया।
कलेक्टर ने कहा- जहां लापरवाही मिलेगी कार्रवाई होगी
जिले में प्रत्येक निकाय को कहा गया है कि डोर टू डोर सर्वे करें। समग्र डेटा की सूची लेकर जाएं। जहां गड़बड़ मिले, वहां कार्रवाई करें। खासकर स्कूलों में यदि बच्चों का टीका नहीं मिलता तो प्रबंधन पर कार्रवाई करते हुए स्कूल सील किया जाए। फ्रंटलाइन और हेल्थ वर्कर को भी तब तक वेतन का आहरण नहीं होगा जब तक उनके बूस्टर डोज नहीं लगेंगे। - मनीष सिंह, कलेक्टर
बच्चों का दूसरा डोज- पहला लगवाने 37 हजार पहुंचे थे, दूसरे में 15 फीसदी भी नहीं
सोमवार से बच्चों के दूसरे डोज लगाने की शुरुआत हुई। लेकिन यह पहले डोज की अपेक्षा फीकी रही। 3 जनवरी को जब यह शुरू हुआ था तब 37 हजार बच्चों को पहला डोज लगा था। 28 दिन बाद इन्हीं को दूसरा डोज लगना था, लेकिन 15 फीसदी बच्चे भी नहीं पहुंचे। उधर, इसी आयु वर्ग के 970 बच्चों ने पहला डोज लगवाया। बूस्टर डोज की बात करें तो 779 हेल्थ केयर वर्कर्स, 1034 फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र बुजुर्गों ने 1557 ने बूस्टर डोज लगवाया।
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