आज पेश होने वाले आम बजट में मध्यमवर्गीय परिवार के साथ कारोबारियों को भी राहत की उम्मीद है। महामारी के दौर में औद्योगिक क्षेत्र के कई सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसलिए महामारी और महंगाई के दोहरे संकट से मंद पड़े बाजारों की निगाह भी मिडिल क्लास पर टीकी है।
औद्योगिक संगठनों ने वित्तमंत्री को भेजे सुझावों में कहा है कि वेंचर केपिटल को केपिंग के साथ बढ़ाया जाना चाहिए इससे स्टार्टअप और नये उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा। इधर, नौकरीपेशा और मिडिल क्लास चाहते हैं कि उन्हें आयकर स्लैब में छूट मिले। दो साल से आयकर स्लैब अपरिवर्तित है। इस बजट में स्लैब बढ़ने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। मिडिल क्लास और नौकरीपेशा चाहते हैं कि उनके हाथ में बचत दिखे ताकि वह बाजार में खर्च कर सकें।
एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मप्र ने भी बजट पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सुझाव भेजे हैं। एआइएमपी के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया के अनुसार फिलहाल आयकर स्लैब 2.50 लाख रुपए है उसे बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जाना चाहिए क्योंकि निर्मित उत्पादों की कीमतें साल-डेढ़ साल में डेढ़ से पौने दो गुना तक बढ़ी है। उपभोक्ताओं की क्रय क्षमता बढ़ाना है तो यह कदम उठाना ही होगा।
महामारी के बाद मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ अहिल्या चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल के मुताबिक महंगाई चरम पर हैं। दो वर्षों से प्रत्यक्ष कर में कोई राहत नहीं मिली है। दरअसल बजट का सीधा संबंध अब बाजार की महंगाई से नहीं रहा है। जीएसटी के बाद वस्तुओं के दाम तो उसी पर निर्भर है। बजट के प्रावधान लोगों की बचत को प्रभावित कर सकते हैं। बीते बजट में किसानों, उद्योगों और व्यापारी सबको कुछ न कुछ मिला, लेकिन मिडिल क्लास और नौकरीपेशा को कुछ नहीं। महामारी के बाद यह वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित है। ऐसे में आयकर स्लैब को बढ़ाकर 5 लाख वार्षिक किया जाना चाहिए। इसी के साथ मेडिकल खर्च, हेल्थ इंश्युरेंस जैसे मुद्दे पर भी सरकार से टैक्स में राहत और बड़ी घोषणाओं की अपेक्षा की जा रही है।
किसान-मध्यम वर्ग पर केंद्रित सीए स्वप्निल जैन के मुताबिक पांच राज्यों में चुनाव होना है। बीते दौर के बाद इस बजट में किसानों के लिए बड़ी घोषणा या फंड का ऐलान होने की उम्मीद की जा रही है। आयकर स्लैब को बढ़ाकर 5 लाख किए जाने की पूरी उम्मीद है। दरअसल अब तक सरकार रिबेट के रूप में 5 लाख तक आय वालों को छूट दे रही थी। अब स्लैब बढ़ी तो इस आय वर्ग के लोगों को रिटर्न दाखिल करने की कार्रवाई से मुक्ति मिल जाएगी। 80 (सी) के डिडक्शन और नेशनल पेंशन स्कीम की सीमा भी सरकार बढ़ा सकती है। 80 (सी) में छूट की सीमा तो 2014 से नहीं बढ़ी है। इसी तरह निजी क्षेत्र के कर्मचारी, कामगारों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम की छूट भी 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख की जा सकती है।
ये सुझाव भेजे उद्योगों ने - आयकर के अंतर्गत पार्टनरशीप एवं एलएलपी की आयकर स्लैब को कम करना चाहिए। जिस तरह गतवर्ष कार्पोरेट टैक्स को कम किया गया था। - इंम्पोर्ट टू एक्सपोर्ट रेशो मे बदलाव होना चाहिए साथ ही इसेन्शीयल कमोडिटी आयटम पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम हो ओर नान इसेंशियल कमोडिटी पर इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ाया जाना चाहिए। - शासकीय खरीद में 45 दिनों में भुगतान नहीं होने पर लघु श्रेणी उद्योगों को भारी परेशानी होती है इसके लिए अपेक्षा है कि सरकार ऐसे विभागीय अधिकारी की जिम्मेदार तय करे और उद्योगों को 45 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करें। - एनजीटी के नियमों के कारण शहरी उद्योगों को कई प्रकार की समस्याएं आ रही है तथा उन्हें शहरी क्षेत्र से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अतः इसके लिए सरकार एक पैकेज दे ऐसे उद्योगों की मदद करें। - ईज आफ डुईंग बिजनेस के तहत जीएसटी/आइटीआर की औपचारिकताओं को कम से कम कर उन्हें सरलीकृत किया जाना चाहिए।
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