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व्रत-उपवास:रविवार को गणेश चतुर्थी व्रत और मानस नाम का शुभ योग, गणेश जी के साथ सूर्य पूजा भी जरूर करें

रविवार, 20 फरवरी को फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। इस चतुर्थी के संबंध में पंचांग भेद भी हैं। कुछ जगहों पर शनिवार को इस चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। रविवार को हस्त नक्षत्र होने से इस दिन मानस नाम का शुभ बन रहा है। रविवार को चतुर्थी और शुभ योग होने से इस दिन का महत्व बढ़ गया है। इस दिन किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है और भक्तों को मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार रविवार और चतुर्थी के योग में गणेश पूजा के साथ ही सूर्य देव के लिए भी विशेष पूजन करना करना चाहिए। चतुर्थी पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है और रविवार का कारक ग्रह सूर्य है। इस वजह से सूर्य की भी खास पूजा जरूर करें। इस दिन किसी गणेश मंदिर जाएं और भगवान को दूर्वा, शमी के पत्ते चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं।

गणेश जी की पूजा में दूर्वा, शमी पत्तों के साथ ही चावल, फूल, सिंदूर भी अर्पित करें। गणेश जी को दूर्वा के जोड़े बनाकर चढ़ाना चाहिए। 22 दूर्वा को जोड़ने पर दूर्वा के 11 जोड़े तैयार हो जाते हैं। ये 11 जोड़े गणेश जी को चढ़ाएं।

दूर्वा किसी साफ जगह पर उगी हुई होनी चाहिए या किसी मंदिर के बगीचे में उगी हुई दूर्वा धोकर भगवान को अर्पित करें। जिस जगह गंदगी हो, वहां की दूर्वा नहीं लेनी चाहिए। दूर्वा चढ़ाते समय गणेश जी के 11 मंत्रों का जाप करना चाहिए।

ये हैं गणेशजी के 11 मंत्र

ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नमः, ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, ऊँ विनायकाय नमः, ऊँ ईशपुत्राय नमः, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, ऊँ एकदन्ताय नमः, ऊँ इभवक्त्राय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः

सूर्य देव की भी करें पूजा

रविवार को सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें चावल, लाल फूल भी डालें। इसके बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। ध्यान रखें जल चढ़ाने के बाद जमीन पर गिरे जल हमारा पैर नहीं लगना चाहिए।

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