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जब भी कोई काम करें तो ध्यान रखें कि हमारी वजह से दूसरों का नुकसान न हो

कहानी:राजा द्रुपद और ब्राह्मण द्रोण दोनों मित्र थे। द्रुपद ने अपने मित्र द्रोण का अपमान कर दिया था। बाद में द्रोण कौरव और पांडवों के गुरु बन गए। द्रोण ने राजा द्रुपद से अपने अपमान का बदला लेने के लिए कौरव-पांडवों से द्रुपद पर आक्रमण कराया और उसे बंदी बना लिया। द्रोण ने द्रुपद के राज्य का आधा-आधा बंटवारा कर लिया था।

द्रुपद इस अपमान से बहुत दुखी थे। वे आश्रम-आश्रम घूम रहे थे और ऐसे ब्राह्मण की तलाश कर रहे थे जो एक यज्ञ करे, जिसके फल में उन्हें ऐसे पुत्र की प्राप्ति हो जो द्रोण से बदला ले सके। संतान के जन्म के पीछे भी द्रुपद अपनी योजना देख रहे थे। उन्हें ऐसा कोई ब्राह्मण मिल नहीं रहा था।

एक दिन द्रुपद ने याज और उपयाज नाम के दो ब्राह्मणों को तपस्या करते हुए देखा। द्रुपद ने अकेले में उपयाज से कहा, 'मैं एक ऐसा पुत्र चाहता हूं जो द्रोणाचार्य का वध कर सके। आप यज्ञ करिए और मुझे ऐसा पुत्र प्रदान कीजिए।'

उपयाज ने कहा, 'मैं तो ये काम नहीं कर सकता, लेकिन मेरे बड़े भाई याज ये काम कर सकते हैं। मैं उनकी मनोवृत्ति जानता हूं। वे किसी वस्तु को लेने में शुद्धि और अशुद्धि का विचार नहीं करते हैं। आप मुझे बहुत सारी संपत्ति देना चाहते हैं, लेकिन ये सब लेने का मेरा मन नहीं है। आप मेरे बड़े भाई से बात कर सकते हैं।'

द्रुपद ने ये बात सुनी तो सोचा कि इनके बड़े भाई थोड़ी संपत्ति लेकर ये काम करने को तैयार हो सकते हैं। ये बात सोचने के बाद द्रुपद के मन में याज की अच्छी छवि तो नहीं बनी, लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि मुझे याज की मनोवृत्ति से क्या करना है, बस मेरा काम होना चाहिए। द्रुपद याज के पास पहुंच गए।

याज ने ऐसा यज्ञ किया। यज्ञ के प्रभाव से धृष्टद्युम्न पैदा हुआ। बाद में जब महाभारत युद्ध हुआ तो उस युद्ध में धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध किया था।

सीख

बदले की भावना लगातार बनी रहेगी तो हम कोई न कोई गलत रास्ता जरूर पकड़ लेते हैं। द्रुपद ने ब्राह्मण को लालच दिया और ब्राह्मण याज भी धन कमाना चाहते थे तो उन्होंने सोचा कि भले ही किसी हत्या हो रही हो, हमारा काम तो यज्ञ करना है। इसलिए ध्यान रखें, जब भी कोई काम करते हैं तो ये जरूर देखें कि उस काम के पीछे हमारी नीयत कैसी है। अगर द्रुपद और याज की तरह ही हमारी नीयत बुरी है तो परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आएंगे। जब भी कोई काम करें तो ये देखें कि हमारी वजह से किसी का नुकसान न हो और हमारा भी काम हो जाए।

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