Header Ads Widget

Responsive Advertisement

आपका शुद्ध मन ही दुिनया का सबसे अच्छा तीर्थ है - आदि शंकराचार्य

  • आदि शंकराचार्य महान दार्शनिक एवं धर्म प्रवर्तक थे। भारतवर्ष में चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी।

1. सत्य की परिभाषा बस इतनी ही है कि यह सदा था, सदा है और जो सदा रहेगा, बाकी सब मिथ्या है।

2. यह परम सत्य है कि लोग आपको उसी समय तक याद करते हैं जब तक आपकी सांसें चलती हैं। इन सांसों के रुकते ही क़रीबी रिश्तेदार, दोस्त सब दूर चले जाते हैं।

3. वास्तविक रूप से मंदिर वही पहुंचता है जो धन्यवाद देने जाता है, मांगने नहीं।

4. तीर्थ के लिए किसी स्थान पर जाने की जरूरत नहीं। सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो।

5. जब मन में सत्य को जानने की तीव्र जिज्ञासा पैदा होती है, तब दुनिया की बाहरी चीज़े अर्थहीन लगने लगती हैं।

6. आंखों को दुनिया की चीज़ों की ओर आकर्षित न होने देना और बाहरी ताकतों को दूर रखना ही आत्मसंयम है।

7. वास्तविक आनंद उन्हीं को मिलता है जो आनंद कि तलाश नहीं करते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ