नीलामी में महंगा कोयला खरीदने वाले प्रदेश के स्थानीय कारोबारियों के अनुसार, टैक्स चोरी कर हर साल करीब 3 सौ करोड़ का कोयला इंदौर ,बड़वाह, भोपाल व नागपुर में बेचा जा रहा है। यह 2008 से जारी है। 30 टन के एक ट्रक में माफिया को डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा की अवैध कमाई है। 2017-18 तक गुजरात को सालाना 2.16 लाख टन कोयला जारी होता था, जो अब बढ़ गया है। हालांकि सरकारी वेबसाइट पर अपडेट नहीं है।
व्यापारियों को सीधे बेच देते हैं डीओ
व्यापारियों ने बताया, गुजरात सरकार ने काठियावाड़ कोल एंड कोक, गुजरात कोक एंड कोल ट्रेडर्स व साउथ गुजरात फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज को नोडल एजेंसी बनाया है। इनको खदानों से कोयला उठाने के लिए डिलीवरी आर्डर (डीओ)जारी होते हैं। इनके एजेंट खरीदारों को कोयला देने के बजाय डीओ बेंच देते हैं। व्यापारी कोयला मनचाही जगह और महंगे दाम में बेच देते हैं।
ईंट भट्टा संचालक हैं सस्ते कोयले के बड़े खरीदार
इंदौर से सटे बड़वाह, खंडवा, बुरहानपुर के ईट भट्ठे इस कोयले के प्रमुख खरीदारों में हंै। इंदौर के कोयला व्यापारी राम अग्रवाल कहते हैं कि वे पहले गुजरात से ट्रांसपोर्टेशन करते थे, अब बंद कर दिया है। एक और व्यापारी सतीश का नाम सामने आया था। उन्होंने माना कि सब्सिडी का कुछ कोयला ईंट भट्ठे वालों को बेचा जाता है, लेकिन खुद इसमें शामिल होने से इनकार किया। ग्वालियर के कोयला व्यापारी कमल नागपाल कहते हैं कि नीलामी से कोयला खरीदने वाले प्रदेश के व्यापारी बेरोजगार बैठे हैं।
गुजरात सरकार को जांच के लिए पत्र लिखा
कोल इंडिया लिमिटेड के सीनियर मैनेजर सेल्स ,तारक शंकर राय के मुताबिक हमें गड़बड़ी की जानकारी मिली है। हमने गुजरात सरकार को जांच के लिए पत्र लिखा है। छोटे उद्योगों के लिए जारी सब्सिडी वाला कोयला एंड यूजर तक पहुंचे, इसकी जिम्मेदारी गुजरात सरकार की है।
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