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घर-परिवार में प्रेम और शांति के साथ रहना चाहिए, नकारात्मक विचारों और गुस्से से बचें

 

कहानी:राजा दशरथ निर्णय ले चुके थे कि राम को राजा बनाना है। राजतिलक का दिन भी तय हो गया था। राजा दशरथ को राजतिलक से पहले एक रात अपनी तीन रानियों में से किसी एक साथ रुकना था।

राजा दशरथ ने विचार किया कि कैकयी हमेशा कहा करती थी कि राम को राजा बनाओ तो आज रात कैकयी के महल में रहना चाहिए। ऐसा सोचकर वे कैकयी के महल पहुंच गए। दशरथ ये नहीं जानते थे कि कैकयी मंथरा का कुसंग कर चुकी हैं। मंथरा ने कैकयी से कहा था कि तुम काले वस्त्र पहनकर कोप भवन में चली जाओ। वहां राजा से अपने पुराने दो वर मांग लेना। भरत को राज्य और राम को वनवास।

दशरथ जैसे ही कैकयी के महल में पहुंचे तो वहां मंथरा से उन्होंने पूछा कि कैकयी कहां है? मंथरा ने कह दिया कि कोप भवन में।

कोप भवन सुनते ही राजा दशरथ का कलेजा धक रह गया। उस समय महलों में एक भवन ऐसा होता था, जिसे कोप भवन कहते थे। जब किसी सदस्य का मन ठीक न हो, वह गुस्से में हो तो कोप भवन में चला जाता था। इसके बाद मतभेद और विवादों की बातें वहीं होती थीं।

राजा दशरथ कैकयी के पास कोप भवन में पहुंचे। वहां कैकयी ने उनसे दो वरदान मांग लिए। नतीजे में राम राज्य चौदह वर्षों के लिए आगे बढ़ गया।

इस किस्से में कोप भवन को समझना बहुत जरूरी है। आजकल घर बड़े-बड़े बनाए जाते हैं, लेकिन उनमें पहले की तरह कोप भवन नहीं होता है। आजकल तो पूरा घर ही कोप भवन बन जाता है। परिवार के लोग मूड खराब करने के लिए ड्रॉइंग रूम, बेडरूम या डायनिंग रूम नहीं देखते हैं, कहीं भी गुस्सा कर लेते हैं। कोप भवन का अर्थ है कि घर का वह स्थान जहां से नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है। इसलिए हमारे घर में कोप भवन जैसी कोई जगह होनी ही नहीं चाहिए।

सीख

घर के सदस्यों के बीच जब भी वाद-विवाद हो तो विचार-विमर्श शांति के साथ करना चाहिए और प्रेम के साथ मतभेदों को दूर करना चाहिए। ध्यान रखें कभी भी खाना खाते समय वाद-विवाद नहीं करना चाहिए।


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