मप्र के सभी जिलों में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बन रही कलेक्टर गाइडलाइन में जनता को बड़ी सहूलियत मिल सकती है। जिन इलाकों में किसी प्रॉपर्टी की कलेक्टर गाइडलाइन में तय कीमत बाजार मूल्य से ज्यादा है, वहां दाम घटाए जा सकते हैं। पंजीयन मुख्यालय ने जिला पंजीयकों को इसके निर्देश दे दिए हैं।
इसमें कहा गया है कि जहां 20% से ज्यादा रजिस्ट्री मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन से अधिक कीमत पर कराई गई हों, वहां कीमतें नए सिरे से तय करें। जहां 200% से ज्यादा रजिस्ट्री गाइडलाइन से ज्यादा कीमत पर हुई हों, वहां अधिकतम कीमत बढ़ा सकते हैं। इंदौर में बायपास पर निपानिया से अरंडिया तक ऐसी स्थिति है। आईजी पंजीयन एवं मुद्रांक एम सेलवेंद्रन के मुताबिक जिन इलाकों में एक भी रजिस्ट्री नहीं हुई है, वहां जांच के बाद दाम घटाएंगे। पंजीयन अफसरों ने कलेक्टरों से 25 फरवरी तक सर्वे रिपोर्ट मांगी है।
दाम घटाने का फॉर्मूला
- जिन इलाकों में रजिस्टर्ड दस्तावेजों का आंकड़ा 5 साल में न के बराबर है या नहीं हुआ है वहां 20 प्रतिशत तक कीमतें घटेंगी।
- यहां 4 साल की स्थिति के आधार पर 15%, 3 वर्ष की स्थिति के आधार पर 10% और 2 साल की स्थिति में रजिस्ट्री न होने या नगण्य होने पर कलेक्टर गाइडलाइन में तय कीमत से 5% तक कम दाम तय किए सकेंगे।
दाम बढ़ाने का फॉर्मूला
- जहां 100 से 200% मामले गाइडलाइन में तय दर से अधिक के हैं। वहां पर वर्ष 2022-23 के लिए तय होने वाले नए दाम 50% तक बढ़ाए जा सकेंगे। जहां 50 से 100% अधिक कीमत पर रजिस्ट्री हुईं, वहां कीमत 30% तक बढ़ेंगी।
- कलेक्टर गाइडलाइन से 50% अधिक कीमत पर रजिस्ट्री वाले क्षेत्रों में 20% तक बढ़ोतरी होगी। जहां 20% से कम रजिस्ट्री गाइडलाइन से ज्यादा कीमत पर हुई हैं, वहां दाम 20% ही बढ़ेंगे।
- जहां गाइडलइन से तय कीमत से ज्यादा पर रजिस्ट्री नहीं हुई है, वहां सिर्फ 10% कीमतें बढ़ेंगी।
प्रदेश की 1.20 लाख लोकेशन्स की जांच, 3 हजार पर कोई डीडी भी नहीं लिखा
प्रदेश में अभी प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन के सर्वे का काम चल रहा है। पंजीयन विभाग के अफसरों के मुताबिक प्रदेश में 1 लाख 20 हजार लोकेशन्स गाइडलाइन में दर्ज हैं। इनकी जांच में पता चला है कि 10 हजार लोकेशन ऐसी हैं, जहां पांच साल से कोई रजिस्ट्री नहीं हुई है। इनमें भी 3 हजार लोकेशन ऐसी हैं, जहां कोई डीडी (एग्रीमेंट) नहीं लिखा गया है। ये वो इलाके हैं, जहां सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जमीनों का अधिग्रहण होना है। कुछ इलाके डूब क्षेत्र के हैं, इनके मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं। इन इलाकों में प्रॉपर्टी के 20% तक दाम घटा सकते हैं।
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