कहानी:श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने एक बार जंगल में गर्भवती स्त्री बनकर ऋषि-मुनियों का अपमान किया था। इस कारण उन्हें शाप मिला था कि इस राजकुमार ने गर्भवती बनकर हमारा मजाक उड़ाया है, इसलिए इसके गर्भ से मूसल का जन्म होगा और वही मूसल यादव वंश के नाश का कारण बनेगा।
इस शाप की वजह से श्रीकृष्ण के वंश के सभी राजकुमार पछताने लगे। सांब के पेट में से एक मूसल निकला। सभी राजकुमार राजमहल पहुंचे और भरी सभा में यादवों के सामने वह मूसल रख दिया। राजा उग्रसेन को पूरी बात बताई।
राजा उग्रसेन ने आदेश देते हुए कहा, 'इस मूसल को चूर लो और इसके चूरे, लोहे के टुकड़े को समुद्र में फेंक दो।' राजकुमारों ने ऐसा ही किया। किसी ने भी इस संबंध में श्रीकृष्ण से कोई सलाह नहीं ली।
लोहे के टुकड़े को एक मछली ने निगल लिया और मूसल का चूरा समुद्र की लहरों के साथ बहकर किनारे पर आ गया। मूसल के चूरे से बिना गांठ की घास एरक के रूप में उग गई। जिस मछली ने लोहे का टुकड़ा निगल लिया था, उसे मछवारों ने पकड़ा तो उसमें से वह लोहा का टुकड़ा निकला। इस लोहे के टुकड़े से जरा नाम के एक शिकारी ने एक बाण बनाया था। यही बाण जरा ने श्रीकृष्ण को मार दिया था और इसके बाद श्रीकृष्ण अपने वैकुंठ धाम लौट गए।
सीख
इस घटना में सीखने योग्य बात ये है कि राजकुमार ने पूरी घटना के बारे में श्रीकृष्ण से कोई सलाह नहीं ली थी। अगर श्रीकृष्ण से सलाह ली जाती तो वे कहते कि सबसे पहले तो उन ऋषियों में क्षमा मांगो और वे ही इस शाप से बचने का रास्ता भी बता देते, लेकिन जब विनाश काल आता है तो बुद्धि उलटी चलती है। अपने घर में किसी योग्य और अनुभवी व्यक्ति से छिपाकर जब कोई काम किया जाता है तो उसका परिणाम अच्छा नहीं आता है। हमारे परिवार में किसी से कोई भूल हो जाए तो बड़े-बूढ़े और अनुभवी लोगों से सलाह जरूर लेनी चाहिए कि इस भूल को कैसे सुधार जाए। उस भूल को छिपाने के लिए दूसरी बड़ी भूल न करें।
0 टिप्पणियाँ