लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की प्लानिंग इंप्लिमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) जिले में 24 विभागों के 170 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। कुल 1219 करोड़ के इन प्रोजेक्ट में से 10 शुरू ही नहीं हो पाए हैं, 31 अधूरे हैं और 6 शुरू होने से पहले ही बस्ते में बंद हो गए। इनमें से ज्यादातर काम 4 से 6 साल पुराने हैं, जिन्हें कायदे से एक से डेढ़ वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए था।
इनकी धीमी गति के लिए अफसर कुछ भी तर्क दें, लेकिन हालत यह है कि जीर्णोद्धार के लिए दो साल में वे एमवाय का ऑपरेशन थियेटर खाली नहीं करा पाए। सवा करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए छत से सोलर पैनल नहीं हटा पाए। ऐसे ही महू के जामनिया में गुरुकुलम पर 27 करोड़ खर्च हो चुके हैं, काम फिर भी अधूरा है।
अफसरों ने पहले 490 सीटर का प्रस्ताव दिया था। अब 720 सीटर कर दिया, लागत 42 करोड़ हो गई। भवन इतने खर्च के बाद भी अनुपयोगी पड़ा है। कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि कुछ अहम प्रोजेक्ट अधूरे हैं। इनमें जमीन, अनुमति से जुड़े इशु भी हैं, निराकरण के लिए वरिष्ठ अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है।
लेटलतीफी के बहाने कैसे- कहीं जमीन नहीं मिली तो कहीं पैसा अटका
साढ़े तीन साल में भी ओटी का रिनोवेशन नहीं
एमवायएच में ऑपरेशन थियेटर के रिनोवेशन को जनवरी 19 में मंजूरी मिली थी। हालत यह है कि मौजूदा ऑपरेशन थियेटर के खाली होने पर काम शुरू होगा, या कहीं और जमीन दी जाएगी, यही तय नहीं है।
बजट चाहिए था 36 लाख का, मिले 1.88 लाख
हातोद में लोक सेवा केंद्र का निर्माण किया जाना था। जनवरी 20 में इसकी मंजूरी मिली। हालांकि इस काम के लिए मात्र 1.88 लाख रुपए मंजूर किए गए, जबकि काम की लागत 36 लाख रुपए है।
तीन साल से इंतजार कर रहा स्किल सेंटर
एमजीएम में नए ओपीडी भवन की छत पर 1.24 करोड़ से नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट कोर्स का स्किल सेंटर बनना है। जून 19 में प्रस्ताव मंजूर हुआ। काम शुरू नहीं हुआ क्योंकि वहां की सोलर पैनल नहीं हट पाई है।
1.85 हेक्टेयर जमीन चाहिए, मिली सिर्फ 0.70 हेक्टेयर
शहर में कैट रोड पर आदिवासी विकास विभाग के 4 छात्रावास कैट रोड पर बनना थे। विभाग ने 0.70 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध करवाई, जबकि 1.85 हेक्टेयर जमीन चाहिए। प्रोजेक्ट बंद करने का प्रस्ताव है।
विभाग दो साल में मंजूरी ही नहीं दे सका
बेटमा के बालक खेल परिसर में स्विमिंग पूल और सिंथेटिक ट्रैक एथलीट्स के लिए बनना था। 2019 को विभाग ने मंजूरी दी थी। पीआईयू ने एक साल पहले विभाग को लिखा। अब तक मंजूरी नहीं मिली।
इन विभागों के हैं काम और जिम्मेदारी
न्याय विभाग, आदिम जाति, उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण, जेल विभाग, चिकित्सा शिक्षा, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक, लोक शिक्षण, स्वास्थ्य विभाग, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग, कौशल विकास विभाग, अनुसूचित जाति, लोक निर्माण, आयुष विभाग, राजस्व विभाग सहित कुछ अन्य विभाग शामिल हैं।
सीधी बात- देरी तो हुई, अब हो जाएगा पूरा
बिल्डिंग तो बन चुकी, फिर क्यों देरी?
पहले जमीन का विवाद, फिर कोविड के कारण और फिर क्षमता बढ़ने से देरी हुई। पीआईयू से डिमांड मांगी है।
अब तक जो राशि खर्च हो चुकी, उसका क्या?
क्षमता बढ़ने से ज्यादा बच्चों को फायदा होगा। हम भी चाहते हैं, जल्द काम हो। - बी.के.शुक्ल, सहा. आयुक्त
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