मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि है। इस दिन शिव जी, माता पार्वती के साथ ही पूरे शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। ध्यान रखें विवाहित लोगों को अपने जीवन साथी के साथ ही शिव पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा जल्दी सफल होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। घर के मंदिर में प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा करें। गणेश पूजन के बाद शिव-पार्वती, कार्तिकेय स्वामी, नंदी की पूजा शुरू करें।
ऐसे कर सकते हैं शिव पूजा
शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। दूध चढ़ाएं और फिर जल चढ़ाएं। इसके बाद हार-फूल, वस्त्र, जनेऊ आदि चीजें चढ़ाएं। चंदन से तिलक करें। बिल्व पत्र, धतूरा, शमी पत्र, आंकड़े के फूल, गुलाब आदि अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। अंत में पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।
पं. शर्मा के अनुसार शिवरात्रि पर पति-पत्नी को एक साथ शिवलिंग पूजा करनी चाहिए। पूजा में शिव-पार्वती मंत्र ऊँ उमा महेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। शिव-पार्वती परिवार के देवता हैं। पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं इस संबंध में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार प्राचीन समय में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। दूसरी मान्यता ये है कि इस तिथि पर शिव जी लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
शिव पुराण और लिंग पुराण के अनुसार एक दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी आपस में वाद-विवाद कर रहे थे। दोनों ही देवता खुद के श्रेष्ठ बता रहे थे। जब विवाद बहुत अधिक बढ़ गया तो एक लिंग के रूप में शिव जी वहां प्रकट हुए। शिव जी ने कहा कि आप दोनों में से जो भी इस लिंग का छोर खोज लेगा, वही श्रेष्ठ होगा।
ये सुनकर एक छोर की ओर ब्रह्मा जी और दूसरे छोर की ओर विष्णुजी चल दिए। विष्णु जी को लिंग का अंत ही नहीं मिला। वे वापस लौट आए। ब्रह्मा जी को भी छोर नहीं मिल रहा था, लेकिन उन्होंने खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए सोचा कि वे झूठ बोले देंगे कि उन्हें लिंग का छोर मिल गया है। इसके लिए उन्होंने अपने साथ केतकी का पौधा ले लिया। जब ब्रह्मा जी ने विष्णु जी के सामने कहा कि उन्हें लिंग का छोर मिल गया है तो केतकी के पौधे ने भी इस बात को सही बता दिया।
उस समय शिव जी ने कहा कि ब्रह्मा जी झूठ बोल रहे हैं। शिव जी ने ब्रह्मा जी को झूठ बोलने पर शाप दे दिया कि अब से आपकी पूजा नहीं होगी और मेरी पूजा में केतकी के फूल का उपयोग नहीं होगा।
जब लिंग प्रकट हुआ था, तब फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि ही थी। तभी से इस दिन महाशिवरात्रि मनाने की परंपरा प्रचलित है।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
शिव पूजा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र- ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। इस मंत्र के जाप से अनजाना भय दूर होता है। मन को शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है। लगातार जाप करते रहने से शिव जी की कृपा मिलती है और दुखों को दूर करने का और सहन करने का साहत मिलता है।
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