कागजों पर फर्म बनाकर पंजीयन कराने वाले व्यापारियों का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए जीएसटी विभाग ने नई रणनीति बनाई है। अब नया पंजीयन कराने वाले व्यापारी के गोदाम का हाथोहाथ सत्यापन किया जाएगा। यदि आवेदन में दी गई जानकारी गलत पाई गई तो पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा। इससे दो लाभ होंगे। पहला ईमानदारी से काम करने वाले व्यापारी ठगने से अब बच सकेंगे। दूसरा, कागजों पर या छोटे से कमरे में फर्म (गोदाम) चलाने वाले व्यापारी टैक्स चोरी नहीं कर पाएंगे। इससे शासन को भी राजस्व का नुकसान नहीं होगा।
सूत्रों के अनुसार, स्टेट जीएसटी कमिश्नर लोकेश कुमार जाटव ने बुधवार को मुख्य व्यावसायिक स्थल (संस्थान) एवं अतिरिक्त व्यावसायिक स्थल (गोदाम) को लेकर जारी आदेश में कहा है कि अब जो भी व्यापारी नया पंजीयन कराएगा उसके दोनों संस्थानों का भौतिक सत्यापन होने के बाद उसे व्यापार की अनुमति मिल सकेगी।
आवेदन फॉर्म में भरी गई जानकारी यदि मौका मुआयना करने पर मेल नहीं खाती है तो उसका पंजीयन तत्काल निरस्त कर दिया जाएगा। आदेशानुसार 10 से 18 फरवरी तक प्रदेशभर में सत्यापन का अभियान चलाया जाएगा। संपूर्ण डिटेल के साथ मौके के फोटो अपलोड किए जाएंगे। इसके आधार पर पंजीयन निरस्ती की कार्रवाई होगी।
नए पंजीयन के लिए तत्काल सत्यापन की नौबत इसलिए आई
नए पंजीयन कराने वाले व्यापारियों या करदाताओं द्वारा अकसर बहुत अधिक राशि के ई-वे बिल डाउनलोड किए जाते हैं। इसके बाद जीएसटीआर 3-बी या तो फाइल नहीं किए जाते या फिर निरंक टर्न ओवर के जीएसटीआर 3-बी फाइल होते हैं, यानी टैक्स चोरी कर बिना बिल सस्ते में माल बेच दिया जाता है। इससे ईमानदारी से व्यापार करने वाले व्यवसायियों को नुकसान उठाना पड़ता है। उनका माल बिकता नहीं है।
इसी तरह कई मामलों में यह शिकायत भी आ रही था कि जीएसटीआर 2-ए, 2-बी में जरूरत से ज्यादा आईटीसी क्लेम की जाती थी। इसके अलावा अधिक राशि के जीएसटीआर 1 फाइल कर बोगस आईटीसी पास की जाती थी। इससे शासन को राजस्व हानि होती है। तत्काल सत्यापन होने से फर्में सिर्फ कागजों पर नहीं चल पाएंगी।
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