- 4750 क्षेत्रों में से 575 लोकेशन पर ही बढ़ेगी, 301 नई कॉलोनी भी दायरे में
जिले में 6 साल बाद कलेक्टर गाइड लाइन में बढ़ोतरी होने जा रही है। जिले के 4750 क्षेत्रों (एरिया-कॉलोनियों) में से सिर्फ 575 लोकेशन की ही गाइड लाइन बढ़ेगी। इनमें भी 431 क्षेत्रों में 10% एवं 144 में 25% तक की वृद्धि प्रस्तावित है। ये वे क्षेत्र हैं, जहां पिछले एक साल में रजिस्ट्री की संख्या में 50 से 100% तक बढ़ोतरी हुई है अथवा यहां बाजार मूल्य कलेक्टर गाइड लाइन से कहीं अधिक है। 301 नई कॉलोनियों को भी गाइड लाइन के दायरे में लाया गया है। इससे पहले बढ़ोतरी 2015-16 में हुई थी।
ये निर्णय गुरुवार को कलेक्टर मनीष सिंह की अध्यक्षता में हुई जिला मूल्यांकन समिति की बैठक में लिए गए। बैठक में सांसद शंकर लालवानी भी शामिल हुए, जबकि वे कमेटी के सदस्य नहीं हैं। कमेटी सदस्य विधायक महेंद्र हार्डिया अनुपस्थित रहे। कलेक्टर ने कहा कि आईडीए की कई स्कीम ऐसी हैं, जहां 5 से 10 साल पहले विकास कार्य हो गए हैं, लेकिन वहां गाइड लाइन काफी कम है। आईडीए वहां आखिरी टेंडर के उच्चतम रेट लेकर उससे 500 रुपए कम की गाइड लाइन प्रस्तावित करे।
लो-डेंसिटी एरिया में कम होगी गाइड लाइन
बैठक में बताया गया कि टीएंडसीपी ने कई एरिया को लो-डेंसिटी घोषित कर रखा है। वहां विकास की संभावना कम होती है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों में गाइड लाइन कम की जाएगी। गोडाउन पर अभी कमर्शियल श्रेणी में गाइड लाइन वसूली जाती है। इसमें संशोधन कर रेसीडेंशियल का 70 फीसदी ही लिया जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
इंदौर- 130, महू-25, सांवेर-126, देपालपुर-2, हातोद-18 (कुल-301)
गाइड लाइन बढ़ाने के कारण
- कई क्षेत्रों में गाइड लाइन मूल्य से अधिक पर दस्तावेजों का पंजीयन हो रहा है। दस्तावेजों के रिकाॅर्ड के आधार पर।
- जिले के प्रस्तावित नए निवेश क्षेत्रों को देखते हुए।
- ऐसे क्षेत्र जहां कृषि जमीन अब आवासीय हो गई है।
- ऐसे क्षेत्र जहां सघन व्यावसायिक गतिविधियां चल रही है।
- शहर के बायपास, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अन्य महत्वपूर्ण रोड से लगे गांवों के विकास को देखते हुए।
- कई क्षेत्रों में गाइड लाइन दरों को युक्तियुक्तकरण करके प्रस्ताव बनाए गए।
पूरे शहर की जियो टैगिंग, जहां खड़े होंगे, वहां की दरें एप बता देगा
वरिष्ठ जिला पंजीयक बालकृष्ण मोरे ने बताया कि प्रदेश सहित इंदौर की भी गाइड लाइन की जो 4800 लोकेशन हैं, उन्हें जियो टैगिंग से जोड़ा जा रहा है। इस टैगिंग के बाद जैसे रजिस्ट्री करते समय गाइड लाइन सामने आती है, वैसे ही एप के माध्यम से जहां आप खड़े हैं, वहां की गाइड लाइन सामने आ जाएगी। इसका 99 प्रतिशत काम जिले में पूरा हो चुका है।
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