Header Ads Widget

Responsive Advertisement

होलाष्टक के बाद भी नहीं होंगे मांगलिक काम:खरमास शुरू होने के कारण 14 मार्च से 14 अप्रैल तक शुभ कामों पर रहेगी रोक

14 मार्च को सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन में आ जाएगा। जो कि 13 अप्रैल तक इसी राशि में रहेगा। सूर्य के मीन राशि में रहने को धर्म और ज्योतिष ग्रंथों में खरमास कहा गया है। इस एक महीने के दौरान शादियां, ग्रह प्रवेश, सगाई, मुंडन और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाएंगे।

इन दिनों में सिर्फ पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और सत्संग किए जा सकेंगे। खरमास में सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ जल से नहाना और दान करना बहुत शुभ माना गया है। इस एक महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की आराधना करने का भी विशेष महत्व पुराणों में बताया है।

साल में दो बार आता है खरमास
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि सूर्य जब-जब बृहस्पति की राशियों में रहता है तब-तब किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसा साल में दो बार होता है। पहला जब सूर्य 15-16 दिसंबर से 14-15 जनवरी तक धनु राशि में रहता है। इसके बाद दूसरी बार तब जब सूर्य 14-15 मार्च से 13-14 अप्रैल तक मीन राशि में होता है।

14 अप्रैल तक नहीं होंगे मांगलिक काम
खरमास के दौरान मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। अंतिम संस्कार को छोड़ सभी संस्कार और गृह प्रवेश सहित हर तरह के मांगलिक अब 14 अप्रैल के बाद शुरू होंगे। होलाष्टक से पहले से शादियों पर लगी रोक अब अप्रैल में खत्म होगी। 17 अप्रैल से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। जो कि तकरीबन तीन महीने ही रहेंगे। फिर जुलाई में देवशयन होने से चार महीनों तक शादियों के लिए कोई मुहूर्त नहीं रहेगा।

खरमास में करते हैं भगवान विष्णु की पूजा
डॉ. मिश्र का कहना है कि खरमास में सुबह जल्दी उठकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने से उम्र बढ़ती है और बीमारियों से बचाव होता है। ऐसा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। वसंत ऋतु होने से इस दौरान उगते हुए सूर्य की रोशनी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है।

पुराणों के मुताबिक खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जानी चाहिए। इन दिनों फाल्गुन महीना होने से श्रीकृष्ण का अभिषेक करने का भी विधान ग्रंथों में बताया है। ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ