1 अप्रैल से देशभर में नई स्कैप पॉलिसी लागू हो रही है। इसके तहत इंदौर में भी 15 साल पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल पर तीन से आठ गुना फीस लगेगी। टू-व्हीलर के लिए अब पहले से 700 रुपए ज्यादा यानी एक हजार रुपए और कार के लिए 4400 रुपए ज्यादा यानी 5000 रुपए फीस चुकाना होगी। देरी पर टू-व्हीलर पर 300 रुपए, जबकि फोर व्हीलर पर 500 रुपए प्रतिमाह पेनल्टी वसूली जाएगी।
इस पॉलिसी का मकसद यह भी है कि पुराने वाहन चलन से बाहर हों, जिससे प्रदूषण में कमी आए। सबसे ज्यादा फीस फिटनेस में ली जाएगी। भारी वाहन का जो फिटनेस अब तक 800 रुपए में होता था, अब उसके लिए 13 हजार 500 रुपए देने होंगे। इसमें एक हजार रुपए फीस और 12 हजार 500 रुपए फिटनेस ग्रांट फीस के लगेंगे।
अब तक यह फीस 200 रुपए लगती थी। एआरटीओ अर्चना मिश्रा का कहना है कि इंदौर में 16 हजार 971 वाहनों का रजिस्ट्रेशन रिन्यू होगा। इसे पांच साल के लिए किया जाएगा। इसके बाद आगे सरकार की पॉलिसी जैसी बनेगी, उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
बिक्री न के बराबर : ऑटो डील एसो.
इंदौर ऑटो डील एसो. के अध्यक्ष शैलेष गर्ग के अनुसार, पुरानी गाड़ियों की खरीदी-बिक्री का इंदौर बड़ा मार्केट था। पहले 40 गाड़ियों की रोज खरीदी-बिक्री होती थी, यह घटकर 5-7 गाड़ियों तक आ गई है। 2007 या उससे पहले के मॉडल की गाड़ियां आसानी से बिक जाती थीं, अब बिक्री न के बराबर हो गई।
अब एंटीक मार्केट हो रहा है खत्म
इंदौर गाड़ियों के मोडिफिकेशन का सबसे बड़ा हब है। पुरानी बुलेट सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं। हालांकि अब इनका मोडिफिकेशन भी कम हो रहा है। 53 साल से गैरेज चला रहे पप्पू चौधरी का कहना है कि पहले इंदौर में रोज 15 गाड़ियां तैयार होती थीं, अब 3-4 बमुश्किल बन रही। नए नियमों से एंटीक मार्केट खत्म हो रहा है।
भावनाओं से जुड़ी गाड़ियां कैसे स्क्रैप करें
इंदौर में लोगों के पास स्कूटर, बुलेट, जीप, विंटेज कार बड़ी संख्या में हैं। यहां तक कि 60 साल पुरानी बुलेट, 40 साल से ज्यादा पुरानी कार भी लोगों के पास है। लोगों का कहना है कि पुरानी गाड़ियों से किसी के दादा तो किसी के पिता की याद जुड़ी है।
इन गाड़ियों को वे कैसे स्क्रैप कर दें। एडवोकेट अनुराग बैजल के पास 60 साल पुरानी बुलेट है। उन्होंने बताया कि उनके दादा ने उनके पिता को यह गाड़ी खरीद कर दी थी। अब वे इसे चलाते हैं। उनका इससे भावनात्मक जुड़ाव है। वे आज भी गाड़ी के पार्ट्स यूके से मंगवाते हैं।
- 15 साल बाद वाहन में क्या परेशानी आती है?
मूविंग पार्ट्स में बदलाव आ जाता है, वॉल्व, पिस्टन, बेयरिंग घिस जाते हैं, गैप बढ़ने से गाड़ी धुआं देने लगती हैं
- किसी भी वाहन की आदर्श स्थिति में कितनी आयु होती
बाइक और हलके वाहन की 1 लाख किमी तक। कुछ कार 5 लाख किमी और भारी वाहन की 4 लाख किमी तक रहती है।
- इंजन में ऐसा क्या होता है कि प्रदूषण फैलने लगता है।
कंप्रेसन रेशो कम रहता है। पिस्टन की रिंग घिस जाती है। पुरानी गाड़ियों में ओवरसाइज पिस्टन लगता था, उसमें नई रिंग डालकर चलाते थे। अब नई गाड़ियों में नए मानदंड आ गए हैं।
- क्या पुराने वाहन चलाने वाले को भी खतरा है?
सबसे बड़ा खतरा प्रदूषण है। स्क्रैप पॉलिसी की आधार यही हैं
- डीजल और पेट्रोल में किस गाड़ी में ज्यादा रिस्क है?
डीजल में वाइब्रेशन ज्यादा होते हैं। पेट्रोल की तुलना में कम रहता है। एक समय के बाद डीजल गाड़ी में प्रदूषण ज्यादा रहता है।
- जो वाहन कम चलते, क्या उनकी लाइफ 15 साल है?
रबर के पार्ट्स खराब हो जाते हैं। उन्हें बदलना जरूरी है। खासतौर पर टायर। इसके अलावा इंजन भी जाम हो जाता है, उसे ठीक कराना जरूरी है, नहीं तो गाड़ी धुआं देगी।
(प्रो. विनोद पाराशर, जीएसआईटीएस, मैकेनिकल इंजीनियर)
0 टिप्पणियाँ