नगर निगम के भ्रष्ट बेलदार असल खान की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 3 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर रखी है। लोकायुक्त पुलिस द्वारा भी जांच की जा रही है। शासन ने अभियोजन की स्वीकृति भी दे दी है। कुछ समय बाद ही चालान पेश किया जाना है। वहीं निगमायुक्त द्वारा बर्खास्त किए गए असलम को संभागायुक्त द्वारा बहाल किए जाने के बाद मातहत पसोपेश में हैं।
निगम के 46 वकीलों को हर माह 20 लाख रु. मानदेय दे रहे फिर भी भ्रष्ट अफसरों की बहाली नहीं रोक सके
असलम की बहानी के बाद गुरुवार को निगम में यह चर्चा रही कि हाई कोर्ट में सरकार के 50 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं, लेकिन वकीलों की संख्या 28 है। वहीं निगम के कुल 450 मामले लंबित हैं। इनके लिए 46 वकील नियुक्त किए गए हैं। इन पर मानदेय के रूप में 20 लाख रुपए तक खर्च किए जा रहे हैं। निगम के पास 2 लाख से लेकर 35 हजार रुपए प्रतिमाह तक के वकील हैं। फिर भी निगमायुक्त के बर्खास्तगी के आदेश को बचाया नहीं जा सका। असलम के घर पर लोकायुक्त ने 2018 में आय से अधिक संपत्ति में कार्रवाई की थी।
संभागायुक्त कोर्ट ने माना कि असलम पर लगे अनुशासनहीनता के आरोप सही हैं, लेकिन बर्खास्त करने की कार्रवाई अत्यधिक है। लिहाजा उसे तीन वेतनवृद्धि रोके जाने की सजा दी जाती है। बर्खास्तगी की कार्रवाई को निरस्त किया जाता है। लोकायुक्त के द्वारा की गई कार्रवाई पूरी तरह अलग है। इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया गया है। -डॉ. पवन शर्मा
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