पांच साल से देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर 500 से ज्यादा शहरों को सफाई का पाठ पढ़ा चुका है, लेकिन आसपास के शहरों (नगरीय निकाय) में कोई संदेश नहीं पहुंचा है। इंदौर संभाग के ही 50 में से 44 शहर अब तक स्वच्छता अभियान की पहली सीढ़ी, स्टार रेटिंग तक भी नहीं पहुंच पाए हैं। पड़ोसी उज्जैन और देवास में जरूर प्रयास नजर आते हैं।
हालांकि वहां भी कोर एिरयाज पर पर्याप्त काम नहीं हो पा रहा है। यदि इंदौर को सफाई का मेट्रोपोलिटन एरिया के रूप में विकसित किया जाता तो इन वर्षों में पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती थी। स्वच्छ भारत अभियान के मिशन डायरेक्टर बिनय झा कहते हैं कि हम भी यही चाहते हैं कि इंदौर का मॉडल सिर्फ शहरी सीमा तक नहीं सिमटे। इंदौर संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा कहते हैं कि इस बार स्थिति बदलेगी।
डोर टू डोर कलेक्शन एंड सेग्रीगेशन
- उज्जैन- 2021 में 5वीं रैंक। घरों से कचरा कलेक्शन व सेग्रीगेशन में 80% तक ही पहुंचे।
- देवास- 2021 में 10वी रैंक मगर घरों से कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन में 80% ही पहुंचे।
- धार- 60% घरों से ही कचरा कलेक्शन।
- खंडवा- 70% घरों से ही कचरा कलेक्शन।
- बुरहानपुर- 70% से ज्यादा कलेक्शन हो रहा। सेग्रीगेशन नहीं हो पा रहा है।
प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल
- उज्जैन- कचरा ट्रांसफर स्टेशन व बायो गैस प्लांट। मिक्स कचरा होने से ज्यादा फायदा नहीं।
- देवास- कचरा ट्रांसफर स्टेशन नहीं, मिक्स कचरे से प्रोसेसिंग व डिस्पोजल में पिछड़े।
- धार- जगह-जगह डंपिंग यार्ड हैं।
- खंडवा- मिक्स कचरा ज्यादा, बड़ा प्लांट नहीं।
- बुरहानपुर- कंपोस्ट प्लांट है, लेकिन ज्यादातर कचरा डंप ही किया जा रहा है।
स्पॉट फाइन एंड यूजर चार्जेस
- उज्जैन- स्पॉट फाइन बहुत कम। यूजर चार्जेस प्रॉपर्टी टैक्स के साथ जोड़ा, फिर भी रिकवरी 80%
- देवास- 30 रुपए यूजर चार्जेस से बमुश्किल 80% करीब सवा करोड़ की रिकवरी हुई।
- धार- न स्पॉट फाइन न यूजर चार्जेस की वसूली।
- खंडवा- स्पॉट फाइन और यूजर चार्जेस नहीं।
- बुरहानपुर- 50 रुपए का फाइन, विरोध होने पर छोड़ देते हैं। यूजर चार्जेस की वसूली कम।
जनता की भागीदारी
- उज्जैन- धार्मिक नगरी होने से फ्लोटिंग पापुलेशन सर्वाधिक। न प्रशासन सख्ती कर पाता है और न जनप्रतिनिधि सख्ती करने देते हैं।
- देवास- लोगों में कचरा यहां-वहां फेंकने की आदत है, सख्ती करने पर नेता ही दबाव बनाते हैं।
- धार- राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण दो साल सीएमओ की पोस्टिंग ही नहीं हो सकी।
- खंडवा- लोगों में कचरा यहां-वहां फेंकने की आदत है और एमजी रोड पर ही स्वीपिंग होती है। जनप्रतिनिधि भी दबाव बनाते हैं।
- बुरहानपुर- अधिकारियों में ही गुटबाजी देखने को मिली और मिश्रित आबादी होने से सख्ती के प्रयास सफल नहीं हो पाते।
सहयोग के लिए तैयार
हम तो पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो आसपास के शहरों में भी गंदगी का स्थाई निदान हो सकेगा। प्रतिभा पाल, निगमायुक्त इंदौर
इंदौर जितना बजट नहीं
इंदौर से ही सीख रहे हैं लेकिन इंदौर जितना बजट नहीं है। हमारे ग्रामीण ब्लॉक में लोगों की मानसिकता में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। विशाल सिंह, निगमायुक्त देवास
इंदौर से ही सीख रहे हैं
इंदौर से ही सीखकर महाकाल मंदिर से निकलने वाले फूलों से अगरबत्ती बना रहे हैं। बायोमिथेनाइजेशन प्लांट भी ला रहे हैं। अंशुल गुप्ता, निगमायुक्त, उज्जैन
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