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महिला दिवस आज:सीता से सीखें हर कदम जीवन साथी का साथ देना और कैकयी से सीखें गलत संगत सब कुछ बर्बाद कर सकती है

आज (8 मार्च) को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। जिन परिवारों में महिलाओं का सम्मान होता है, वहां सभी देवी-देवताओं का वास होता है। अगर घर में महिला दुखी है तो वहां पूजा करने से भी सकारात्मक फल नहीं मिल पाते हैं। शास्त्रों में कई ऐसे महिला पात्र बताए गए हैं, जिनसे जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के सूत्र सीख सकते हैं। यहां जानिए शास्त्रों की 10 खास महिलाओं से जुड़ी खास बातें...

कैकयी और मंथरा

जब कैकयी का विवाह राजा दशरथ से हुआ तो मंथरा भी कैकयी के साथ अयोध्या आ गई थी। मंथरा का स्वभाव ऐसा था कि वह बने बनाए काम बिगाड़ देती थी। जब श्रीराम का राज्याभिषेक तय हुआ तो मंथरा ने कैकयी को भड़काया कि वह दशरथ से अपने दो वर मांग लें, पहला, श्रीराम को वनवास और दूसरा, भरत को राज।

मंथरा की गलत संगत में कैकयी की बुद्धि भ्रमित हो गई और उसने राजा दशरथ से ये दो वर मांग लिए। इसके बाद अयोध्या में जहां खुशी का वातावरण था, वहां सभी दुखी हो गए। राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वनवास चले गए। पुत्र वियोग में दशरथ ने प्राण दिए। भरत कैकयी से दूर हो गए। कैकयी और मंथरा से हम यही सीख सकते हैं कि कभी भी गलत बुद्धि वाले लोगों की संगत नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोगों से दूर रहें जिनका स्वभाव बने बनाए काम बिगाड़ना है।

अनसूया

रामायण में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण अत्रि मुनि के आश्रम गए थे। अनसूया को उनके सतीत्व की वजह से पूजनीय माना गया है। अनसूया ने ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी को अपने सतीत्व के बल से नवजात शिशु बना दिया था। तभी से अनसूया को प्रात: स्मरणीय और पूजनीय माना गया है। अनसूया ने सीता को समझाया था कि हर कदम पति का साथ देना चाहिए।

सीता

रामायण में रावण ने हरण के बाद सीता को लंका की अशोक वाटिका में रखा था। रावण ने सीता को डराने की बहुत कोशिश की, लेकिन सीता को श्रीराम पर भरोसा था कि वे उन्हें मुक्त कराने आएंगे। सीता ने यहां संदेश दिया है कि हालात कैसे भी हों, जीवन साथी पर भरोसा रखना चाहिए। बुरे समय में भी हर कदम पति का साथ देना चाहिए। रावण के इस काम की वजह से ही श्रीराम ने उसके पूरे कुल को ही नष्ट कर दिया। रामायण का यही संदेश है कि महिलाओं का अपमान करने वाले लोग बर्बाद हो जाते हैं, इसीलिए महिलाों का हमेशा सम्मान करें।

उर्मिला

रामायण में लक्ष्मण की पत्नी थीं उर्मिला। श्रीराम और सीता के साथ लक्ष्मण भी वनवास जा रहे थे। उस समय लक्ष्मण ने उर्मिला से कहा था कि अगर वह भी वनवास आएगी तो मैं श्रीराम की सेवा ठीक से नहीं कर पाऊंगा। लक्ष्मण अपना धर्म ठीक से निभा सके, इसलिए उर्मिला अयोध्या में ही रुक गईं। इसी त्याग की वजह से उर्मिला को पूजनीय माना गया है।

मंदोदरी

मंदोदरी रावण की पत्नी थीं, लेकिन वह धर्म की जानकार थीं। मंदोदरी हमेशा अपने पति का हित चाहती थीं। सीता हरण के बाद मंदोदरी ने रावण को समझाने की बहुत कोशिश की। उसने कई बार रावण से कहा कि वह सीता को वापस भेज दे, लेकिन रावण नहीं माना। मंदोदरी और रावण के जीवन से सीख लेनी चाहिए कि जीवन साथी की सही सलाह तुरंत मान लेनी चाहिए, वर्ना बाद में पछताना पड़ सकता है।

देवी सती

रामचरित मानस के एक प्रसंग में देवी सती ने जब श्रीराम को सीता के वियोग में एक सामान्य इंसान की तरह रोते हुए और परेशान देखा तो उन्होंने सोचा कि ये भगवान कैसे हो सकते हैं। ये सती ने शिव जी को बताई तो शिव जी उन्हें समझाया कि ये सब श्रीराम की लीला है। वे भगवान हैं, उन पर संदेह न करें, लेकिन सती ने शिव जी की बात नहीं मानी और श्रीराम की परीक्षा ली।

इसके बाद सती के पिता दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, उसमें शिव जी को नहीं बुलाया था। सती ने पिता के यहां जाने की बात कही तो शिव जी ने समझाया कि बिना आमंत्रण हमें वहां नहीं जाना चाहिए, लेकिन सती नहीं मानीं और दक्ष के यहां यज्ञ में पहुंच गईं। यज्ञ में दक्ष ने शिव जी का अपमान किया तो देवी सती ने अग्नि कुंड में कूदकर अपनी देह का अंत कर लिया।

देवी सती के जीवन से हम सीख सकते हैं कि जीवन साथी की सही बात का अनादर नहीं करना चाहिए, वर्ना बाद में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

द्रौपदी

महाभारत में द्रौपदी सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक है। दुर्योधन ने हस्तिनापुर की भरी सभा में द्रौपदी का अपमान किया था। इसी अपमान की वजह से उसके पूरे कौरव वंश का नाश हो गया। महाभारत का संदेश यही है कि महिलाओं का हर परिस्थिति में पूरा सम्मान करना चाहिए।

कुंती

पांडवों की माता कुंती ने पूरे जीवन दुखों का सामना किया। जब युद्ध खत्म हुआ और पांडव राजा बन गए तो श्रीकृष्ण द्वारिका लौट रहे थे। उस समय कुंती ने श्रीकृष्ण से वरदान में दुख ही मांगे थे। कुंती ने कहा था कि दुख के समय में मेरा पूरा ध्यान तुम्हारी भक्ति में लगा रहता है और मैं तुम्हारा ध्यान करते रहना चाहती हूं। यहां कुंती बताया है कि हमें भगवान का ध्यान हर पल करते रहना चाहिए। कुंती ने अभावों में भी पांडवों को अच्छे संस्कार दिए। अच्छे संस्कारों की वजह से पांडव श्रीकृष्ण के प्रिय बने और महाभारत युद्ध जीत सके।

गांधारी

दुर्योधन की माता गांधारी ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। इस वजह से उसे अपने पुत्रों के सही-गलत कर्मों दिखाई ही नहीं दिए। गांधारी का प्रतिकात्मक संदेश ये है कि जो माता पुत्र मोह में आंखों पर पट्टी बांध लेती है और बच्चों को सही संस्कार नहीं देती है, उसकी संतान का भविष्ण बिगड़ जाता है।

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