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जब भी कोई काम करें तो काम की प्रवृत्ति को जरूर समझें

कहानी:हनुमान जी लंका में प्रवेश करने से पहले वहां की सुरक्षा व्यवस्था देख रहे थे। लंका के परकोटे पर राक्षस पहरा दे रहे थे, वे बहुत ही बारीकी से हर एक चीज को देख रहे थे। हनुमान जी को लगा कि अगर मैं ऐसे ही लंका में प्रवेश करूंगा तो पकड़ा जाऊंगा। फिर युद्ध भी हो सकता है। ये लोग जान जाएंगे कि कोई रामदूत आया है।

हनुमान जी से सोचने लगे कि मैं कौन सा रूप धारण करूं और छोटा बनकर लंका में प्रवेश करूं। उनके सामने छोटा रूप बनाने के बहुत सारे विकल्प थे। उन्होंने लंका के लोगों की वृत्ति पर विचार किया और सोचा कि मैं सिर्फ सीता जी को संदेश देने नहीं आया हूं। मैं इन लोगों को मौका भी देना चाहता हूं कि ये लोग सुधर जाएं। यहां की व्यवस्था के बारे में गहराई से जानकारी लूं और राम जी को दे दूं। बहुत सोच-विचार करने के बाद उन्होंने मच्छर का रूप धारण किया और लंका में प्रवेश कर गए। उस समय उन्हें लंकिनी ने देख लिया था।

जब हनुमान जी लंका से लौटकर आए तो श्रीराम और वानर सेना के लोगों ने बहुत सारे प्रश्न पूछे थे। उन प्रश्नों में एक प्रश्न ये भी था कि आप मच्छर ही क्यों बने थे?

हनुमान जी बोले, 'मुझे मच्छर के तीन काम बहुत अच्छे लगते हैं। पहला, वह गाता है। मुझे भी गाना ही था कि जागो भाई जागो गलत काम मत करो। दूसरा काम, मच्छर काटता है। मुझे भी राक्षसों को सबक सीखना था। तीसरा काम, वह सोने नहीं देता है। मुझे भी दुष्टों को जगाना था।'

सीख

यहां हनुमान जी ने संदेश दिया है कि हम जब भी कोई काम करते हैं तो सबसे पहले काम की प्रवृत्ति को समझना चाहिए। हम जिन लोगों के बीच काम करना चाहते हैं, उनकी मानसिकता को समझना चाहिए। यहां वेश बनाने का मतलब है काम करने का ढंग। हमें जीवन में कभी दार्शनिक बनना पड़ता है, कभी हम प्रशासक बनते हैं, योद्धा बनना पड़ता है, कभी पिता और कभी माता की भूमिका निभानी पड़ती है। अगर हम भूमिकाएं ठीक से निभा लेते हैं तो सफलता जरूर मिलती है।

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