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आशावादी होना जिंदगी के लिए अच्छा, स्ट्रेस के हालात में भी करते हैं बेहतर पर्फोम; फालतू बहस करना भी बेकार

सालों से सुनते आ रहे हैं कि खुश रहने वाले इंसान ज्यादा जीते हैं। यह कहावत पहली बार एक रिसर्च में साबित भी हुई है। अध्ययन में 233 युवाओं को 1960 के दशक में शामिल किया गया था। इस दौरान इनके मूड और तनाव की स्थिति का आंकलन किया गया।

दरअसल, अमेरिकन वेटर्न्स अफेयर्स द्वारा एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। इसमें सामने आया कि आशावादी और खुश रहने वाले लोग वाकई में ज्यादा जीते हैं।

छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर हम हमारी जिंदगी को खुशनुमा बना सकते हैं।
छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर हम हमारी जिंदगी को खुशनुमा बना सकते हैं।

1980-90 के दशक में इनकी आशावादिता के स्तर की जांच की गई। 2002 से 2010 के बीच यह आंकलन पूरा हुआ। इस दौरान सभी से 3 से 8 दिन तक की डायरी में उनके तनाव और मूड के बारे में डेटा दर्ज किया गया। इसी से जुड़ी शोध रिपोर्ट हाल ही में जनरल ऑफ जेरोंटोलाजी में प्रकाशित किया गया। इसके अनुसार जो लोग आशावादी होते हैं, वे तनावपूर्ण स्थितियों पर प्रतिक्रिया देते हैं और उनसे उबरते हैं।

पर्फोमेंस भी होता है बेहतर
आशावादी लोग भावनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि उनके दैनिक जीवन में वह तनावपूर्ण स्थिति में कम ही रहते हैं। उन्होंने पाया कि आशावादी लोग हर दिन तनावमुक्त रहने के लिए फालतू की बहस में पड़ने से बचते हैं। ट्रैफिक जाम और अन्य परेशान करने वाली स्थितियों से चिढ़ते नहीं हैं या फिर वे पहली बार में इन सभी स्थितियों को तनाव मानते ही नहीं हैं।

खुश रहने के लिए जीवन में सही और गलत का सिलेक्शन करना बहुत जरूरी होता है।
खुश रहने के लिए जीवन में सही और गलत का सिलेक्शन करना बहुत जरूरी होता है।

पहले रिसर्चर्स का मानना था कि निराशावादियों के आशावादी में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगाते होंगे। लेकिन अध्ययनकर्ता इस मामले में गलत साबित हुए।

आशावादी आत्मविश्वासी होते हैं, रिस्क लेने से नहीं डरते
ज्यादा आशावादी लोगों के बारे में धारणा है कि वे पोलीन्नाइस होते हैं या फिर रिस्क लेने से डरते हैं। सच तो यह है कि आशावादी बनने में बहुत सी जानकारियां, क्षमता, पूर्व में मिली सफलता का अनुभव और अन्य तरह के सकारात्मक विश्वास शामिल होते हैं।

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