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विश्वरंग:कहीं होता है संतरों और टमाटर से युद्ध तो कहीं होता है मिट्‌टी में हुड़दंग, दुनियाभर में मनाए जाते हैं होली जैसे त्योहार

  • हंसी-ख़ुशी और मस्ती के पर्व होली की तरह दुनिया में उसके कई हमजोली उत्सव भी हैं। होली के यार ये त्योहार उससे किसी मामले में कम नहीं। इनमें क़ुदरती रंग हैं, फुहार है और है मौज की ख़ुशरंग बहार!

होली जैसे ही मौज-मस्ती-मज़ाक़ वाले कुछ उत्सव दुनिया के अन्य देशों में भी मनाए जाते हैं। इनमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। ये हैं कुछ ऐसे ही चुनिंदा अतरंगी उत्सव...

इटली...
संतरों की लड़ाई

फरवरी में इव्रेया शहर में होने वाली इस लड़ाई में तीन दिवसीय उत्सव मनाया जाता है और लाखों की संख्या में स्थानीय जनता व पर्यटक इसमें शामिल होते हैं।

ऐसे हुई शुरुआत —

18वीं सदी में तानाशाह रानेरी डि बियानद्राते इव्रेया की हर नई दुल्हन के साथ पहली रात बिताता था। इसका विरोध करने की हिम्मत वॉयलेटा नाम की लड़की ने की। शादी के दिन उसने शादी के जोड़े में कटार छुपा ली और तानाशाह के पास आते ही कटार से उसका सिर, धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद शाही सेना और स्थानीय लोगों के बीच युद्ध छिड़ गया। इसी की याद में ऑरेंज बैटल यानी ‘बत्ताग्लिया डेल्ले अरांस’ मनाया जाता है।

तीर का प्रतीक संतरा —
ऑरेंज बैटल के माध्यम से बताया जाता है कि किस तरह जनता ने तानाशाही के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। सड़क पर खड़े होकर संतरे फेंकने वाले ‘अनारसेरी’ स्थानीय जनता के प्रतीक होते हैं। कार्ट में बैठे लोग सैनिक, और संतरे तीर के प्रतीक होते हैं। हर साल एक विवाहित महिला को वॉयलेटा के किरदार के लिया चुना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक़ 700 टन संतरे लग जाते हैं। अन्य आकर्षण हैं, इटली और शेष यूरोप के कोने-कोने से आए लोक कलाकारों की संगीत और नृत्य प्रस्तुतियां।

खाना, लड़ाई और उत्सव —
पहले दिन लोगों को पारंपरिक इतालवी खाना परोसा जाता है। कुछ लोग इसे ‘तानाशाही का विरोध’ करते हुए फेंक देते हैं। दोपहर बाद से ऑरेंज बैटल शुरू होता है। दूसरा दिन भी बैटल का होता है। तीसरे दिन कार्निवाल शुरू होता है। शाम को मृतकों की याद में मार्च निकलता है। चौथे दिन कार्निवाल समाप्ति की घोषणा की जाती है।

स्पेन...
टमाटर की होली

ख़ूबसूरत नज़ारों से भरे स्पेन की पहचान यहां हर साल अगस्त में आयोजित होने वाले ‘ला टोमाटीना फेस्टिवल’ से है। यह अगस्त माह के आख़िरी बुधवार को मनाया जाता है।

यूं हुई शुरुआत —
1945 में अगस्त के अंतिम बुधवार को ब्यूनोल के टाउन स्क्वायर पर जायंट्स और बिग हेड्स फिगर परेड चल रही थी। कुछ नवयुवा इसमें शामिल होने के लिए पूरी ऊर्जा के साथ जुट गए। इसी दौरान धक्का लगने से परेड में शामिल एक सदस्य गिर गया। उस जगह सब्ज़ी मंडी थी तो ग़ुस्से में तमतमाए सदस्य ने जो भी सामने आया, उस पर हमला शुरू कर दिया। धीरे-धीरे दोनों पक्ष एक-दूसरे पर टमाटर, फल फेंकने लगे। अगले साल फिर उसी दिन युवाओं ने अपनी मर्जी से टमाटर की यह लड़ाई लड़ी और इस बार वे टमाटर घर से लेकर आए। जाने-अनजाने ही युवाओं ने इस ला टोमैटीना फेस्टिवल की शुरुआत कर दी। बुधवार दोपहर 11 बजे से टोमैटीना की शुरुआत होती है और महज़ एक घंटे में तक़रीबन ढाई लाख पाउंड टमाटर खप जाते हैं।

ऐसे हैं नियम —
टमाटर की इस होली को खेलने के भी कुछ नियम होते हैं, जैसे कि आप कोई भी नुकीली वस्तु या ज़ेवर नहीं पहन सकते। टमाटरों को एक-दूसरे पर फेंकने से पहले पिचका दिया जाता है ताकि सामने वाले को चोट कम से कम लगे। खेल के दौरान किसी की टी-शर्ट या अन्य कपड़े नहीं फाड़े जा सकते। फाइट के दौरान यदि सामने वाला व्यक्ति आपको रुकने के लिए कहता है तो रुकना ज़रूरी होता है।

दक्षिण कोरिया...
मिट्टी में हुड़दंग

कीचड़ की होली तो हम भी खेलते हैं लेकिन दक्षिण कोरिया की कीचड़ वाला ‘होली’ खेलने के लिए दुनियाभर से 20-30 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। देश के बोरियोंग प्रांत में 10 दिनों का यह मड फेस्टिवल होता है जुलाई माह में।

ऐसे हुई शुरुआत —
90 के दशक में बोरियोंग के डैचेऑन बीच को डर्टी सी यानी गंदे सागर के नाम से जाना जाता था। महंगाई के चलते पर्यटक वहां जाने से भी कतराने लगे थे। दूसरी तरफ़ सरकार ने यहां की कोयले खदानों को बंद कर दिया, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई। तब डैचेऑन के मेयर पार्क सांग-डॉन ने यहां की मिट्टी को कॉस्मेटिक में इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। मीडिया रिपोर्ट में मिट्टी की ख़ूबियां बताई गईं, जिसने पर्यटकों का ध्यान खींचा। इसके बाद पिचई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जुंग कांग-हवान ने मड फेस्टिवल मनाने का प्रस्ताव रखा।

मिट्टी के खेल —
यह फेस्टिवल डैचेऑन बीच पर मनाया जाता है, जिसे मड स्क्वायर नाम से भी जाना जाता है। इस बीच की मिट्टी मिनरल्स से भरपूर है और इससे विभिन्न कॉस्मेटिक्स बनाए जाते हैं। इसी विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए 1998 में पहली बार मड फेस्टिवल का आयोजन हुआ। इस दौरान आने वाले लाखों पर्यटक न सिर्फ़ कीचड़ में जमकर कुश्ती लड़ते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के साथ नाच-गाने में भी शरीक होते हैं। इस वार्षिक उत्सव में मड मसाज, मड फाइट, मड बाथ जैसे आयोजन होते हैं, जिनका लोग जमकर लुत्फ़ उठाते हैं।

थाईलैंड...
पानी की होली

बौद्ध कैलेंडर के हिसाब से पारंपरिक थाई नववर्ष का उत्सव है, सोंगक्रन फेस्टिवल। थाईलैंड में नववर्ष 13-15 अप्रैल के बीच मनाया जाता है। यह दुनिया की सबसे बड़ी पानी की होली है, जिसमें हर उम्र के लोग शामिल होते हैं।

पाप धुल जाते हैं —
सोंगक्रन के दौरान थाई लोग एक-दूसरे पर पानी फेंककर ख़ुशी का इजहार करते हैं। माना जाता है कि पानी छिड़कने से पाप धुलते हैं। इस दौरान लोग बुद्ध प्रतिमा, बौद्ध भिक्षुओं और अपने घर के बड़े-बुज़ुर्गों पर भी पानी छिड़ककर आशीर्वाद लेते हैं। साथ ही अपने घरों को साफ़ करते हैं। थाईलैंड के बैंकाक, चियांग माई और खोन काएन जैसे शहरों में दुनियाभर से लोग इस फेस्टिवल में शामिल होने पहुंचते हैं। इसके साथ ही हांगकांग, म्यांमार, कंबोडिया और लाओस समेत कई देशों में ये फेस्टिवल इसी दौरान मनाया जाता है।

तीन दिनों का उत्सव —
सोंगक्रन तीन दिनों का उत्सव है, जो पूरे थाईलैंड में धूमधाम से मनाया जाता है। पहले दिन यानी 13 अप्रैल को पूरे देश में भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं, तस्वीरों की झांकी निकाली जाती है। इसे महा सोंगक्रन कहते हैं। इस दिन से पानी छिड़कने की शुरुआत होती है और थाई जनता नए साल के स्वागत की तैयारी में जुट जाती है। दूसरा दिन वान नाओ नाम से जाना जाता है। कई बौद्ध भिक्षु अपने मंदिरों में जाकर रेत के महल बनाते हैं। तीसरे दिन को वान थालोंग सोक यानी नए साल शुरुआत कहते हैं, जो कि 15 अप्रैल है। इस दिन लोग मंदिरों में जाकर प्रार्थना करते हैं और पानी की होली खेल एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

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