2 मार्च यानी आज फाल्गुन महीने की अमावस्या है। बुधवार का संयोग होने से इस पर्व पर स्नान-दान और पूजा का महत्व ज्यादा रहेगा। शुभ वार को अमावस्या होने से इसका शुभ फल और बढ़ जाएगा। अमवस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस तिथि पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है।
ज्योतिष के नजरिये से इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं। इन दोनों के ग्रहों के बीच का अंतर 0 डिग्री हो जाता है। हर महीने की अमावस्या पर कोई न कोई व्रत या पर्व मनाया जाता है। ये तिथि पितरों की पूजा के लिए खास मानी जाती है। इसलिए इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
भोजन का दान करें
इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। अपनी शक्ति के अनुसार किसी ब्राह्मण को या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन का दान करें। अपने सार्मथ्य के अनुसार अनाज और कपड़ों का दान भी करें। तर्पण आदि कामों में चांदी के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। चांदी के बर्तन इन कर्मों के लिए शुभ माने गए हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए।
बुधवार और अमावस्या का योग
बुधवार और अमावस्या के योग में गणेशजी की पूजा भी विशेष रूप से जरूर करें। गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं और श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। गणेशजी को घर में बने लड्डू का भोग लगाएं।
अमावस्या पर पितर करते हैं अमृत पान
इस तिथि में पितृ अमृतपान कर के एक महीने तक संतुष्ट रहते हैं। इसके साथ ही पितृगण अमावस्या के दिन वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं और अपने कुल के लोगों से श्राद्ध की इच्छा रखते हैं। इस दिन पितृ पूजा करने से उम्र बढ़ती है। परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
अमावस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
सालभर की सभी अमावस्याओं पर पितरों के लिए श्राद्ध किया जा सकता है। इस तिथि में पितरों के उद्देश्य से किया गया तीर्थ स्नान, दान और श्राद्ध अक्षय फल देने वाला होता है। इस तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। सोमवार या गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या को शुभ माना जाता है। वहीं, इस बार बुधवार को अमावस्या होना भी अशुभ नहीं रहेगा। सिर्फ रविवार को अमावस्या का होना अशुभ माना जाता है।
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