चैत्र अमावस्या अप्रैल माह के पहले ही दिन पड़ रही है। इस दिन पहले ब्रह्म योग फिर एंद्र योग बन रहे हैं। इतना ही नहीं रेवती नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग भी है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि घर पर स्नान कर रहे हैं तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद अनाज, वस्त्र, आंवला, कंबल व घी आदि का दान करना चाहिए। गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए।
काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए भी खास
चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने की भी परपंरा है। चैत्र अमावस्या को काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी बेहद खास माना जाता है। इस दिन काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए चांदी के नाग-नागिन की पूजा की जाती है। इसके बाद इन्हें नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसके साथ ही गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
सुबह 9.37 बजे तक रहेगा ब्रह्म योग
पंडित कुलदीप पाठक ने बताया अमावस्या तिथि का प्रारंभ गुरुवार दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से होगा। अमावस्या तिथि 1 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 53 मिनट तक समाप्त होगी। ब्रह्य योग सुबह 9.37 बजे तक रहेगा। इसके बाद एंद्र योग शुरू होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग 10.40 से 6.10 बजे तक रहेगा। 2 अप्रैल को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 से 12.50 बजे तक रहेगा। अमृत सिद्धि योग 10.40 से 6.10 बजे तक रहेगा। अप्रैल माह की दूसरी अमावस्या 30 अप्रैल को पड़ेगी। इसे वैशाख अमावस्या के नाम से भी जानते हैं।
0 टिप्पणियाँ