Header Ads Widget

Responsive Advertisement

MP में बच्चों के टीकाकरण पर सबसे बड़ी पड़ताल:सरकार 8 टीके लगाती है, क्लिनिक पर 70 हजार तक के 14 टीके लगा रहे, डॉक्टर खुद खरीद कर दे रहे

नौ तरह की बीमारियों से बचाव के लिए सरकार बच्चों को मुफ्त में आठ टीके लगाती है, लेकिन निजी क्लिनिक पर शिशु रोग विशेषज्ञ 14 तरह के टीके लगा रहे हैं। हालांकि परेशानी टीकों से नहीं है, क्योंकि इनसे बच्चों को अन्य बीमारियों से भी बचाव में मदद मिलती है। दिक्कत इनके नाम पर हो रही मुनाफाखोरी से है।

डॉक्टर तीन से पांच गुना कीमत पर ये टीके लगा रहे हैं। डॉक्टर सीधे कंपनियों से खरीद कर क्लिनिक पर रख रहे हैं, जबकि कानूनी तौर पर उन्हें दवा बेचने का अधिकार ही नहीं है। मुनाफाखोरी के कारण बच्चों का टीकाकरण निजी क्लिनिक में 50 से 70 हजार रुपए तक जा पहुंचा है। बाजार में इनकी कीमत बमुश्किल 10 से 15 हजार है।

सालाना 100 करोड़ का निजी टीकाकरण

निजी वैक्सीनेशन पर नियंत्रण नहीं होने से कहीं 100 रुपए की वैक्सीन के 800, तो 500 की वैक्सीन के 4000 तक वसूले रहे हैं। दवा व्यापारियों के अनुसार, सरकारी टीकाकरण के बावजूद निजी क्लिनिक में वैक्सीनेशन पर सालाना 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहे हैं।

पेनलेस वैक्सीनेशन के नाम पर भी मुनाफाखोरी

डॉ. अजय दोषी बताते हैं कि 700 रुपए की पेंटा वैक्सीन पेनलेस हो तो 3000 में पड़ती है। इसमें दर्द, बुखार नहीं होता। डॉ. अनुराग मित्तल कहते हैं कि सामान्य वैक्सीनेशन 28 से 30 हजार का होता है, पेनलेस 40000 में पड़ता है।

डॉक्टर्स ने कहा- एमआरपी पर टीके देते हैं, लगाने की फीस नहीं लेते

इंदौर में लगभग 280 रजिस्टर्ड शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। एक दर्जन से ज्यादा डॉक्टर्स के क्लिनिक पर पहुंचा तो ज्यादातर में एमआरपी पर ही टीकाकरण मिला। जब डॉक्टर्स से होलसेल रेट पर खरीदकर एमआरपी पर टीके लगाने पर सवाल किया तो अधिकतर ने कहा कि हम टीका लगाने की फीस नहीं ले रहे हैं। सीधे कंपनी से खरीदने पर सवाल उठाया तो उनका जवाब था- स्टोर पर कोल्ड चेन मेंटेन नहीं हो पाती, इसलिए हम ही टीके रखते हैं। मुनाफाखोरी पर सवाल उठाया तो अधिकतर जवाब नहीं दे पाए।

दवा बेचने का अधिकार ही नहीं

ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के प्रावधानों के तहत, दवा बेचने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। डॉक्टर भी सिर्फ आपात स्थितियों के लिए जीवन रक्षक दवाएं रख सकते हैं। उन्हें मेडिसिन बेचने, उसका बिल आदि देने का अधिकार नहीं है।

 डॉ. संजय रावत, अध्यक्ष, पीडियाट्रिक एसोसिएशन

सरकार और निजी डॉक्टरों के टीकाकरण में काफी अंतर है?
सरकार बजट, कॉमन बीमारी आदि देखती है। डॉक्टर अनकॉमन बीमारी के टीके भी रिकमेंड करते हैं।

गैरजरूरी टीके भी लगा रहे?
सभी टीके जरूरी हैं। कुछ विदेश जाने वालों के लिए जरूरी हैं।

डॉक्टर ही टीके बेच रहे हैं?
- पेरेंट्स की सुविधा के लिए ही टीके रखते हैं। कोल्ड चेन मेंटेन रहे।

स्टोर कोल्ड चैन नहीं रखते?
- बाहर से लाने में कोल्ड चैन डिस्टर्ब होती है। छोटे स्टोर में दिक्कत ज्यादा आती है। इससे वैक्सीन बेकार जाती है।

डॉक्टर महंगी दरों पर लगा रहे हैं टीके, बिल भी नहीं देते?
- जिनके खुद के अस्पताल हैं वे तो बकायदा बिल देते हैं। छोटे क्लिनिक वाले क्या करते हैं, कैसे बिल अरेंज करते हैं, मुझे नहीं पता।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ