रविवार, 10 अप्रैल को राम नवमी है। त्रैतायुग में इसी तिथि पर राजा दशरथ के यहां श्रीराम का जन्म हुआ था। जब श्रीराम को वनवास मिलता तो सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ चल दिए थे। वनवास के समय श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में काफी दिन रुके थे। ये वही जगह है, जहां से श्रीराम और सीता बिछड़ गए थे। उस समय पंचवटी में 5 खास घटनाएं हुई थीं, जानिए घटनाएं कौन-कौन थीं...
पंचवटी नासिक (महाराष्ट्र) में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित है। इस जगह शूर्पणखा की नाक यानी नासिका लक्ष्मण ने काटी थी। इसी वजह से ये जगह नासिक नाम से प्रसिद्ध हो गई।
पहली घटना
श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में रह रहे थे। उस समय शूर्पणखा ने श्रीराम को देखा तो वह मोहित हो गई थी। वह श्रीराम ने विवाह करना चाहती थी। श्रीराम के मना करने के बाद वह लक्ष्मण के पास पहुंची। लक्ष्मण ने भी मना कर दिया तो शूर्पणखा क्रोधित हो गई थी। इसके बाद लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी।
दूसरी घटना
शूर्पणखा की कटी नाक का बदला लेने के लिए खर-दूषण पंचवटी पहुंचते हैं। श्रीराम और लक्ष्मण ने खर-दूषण को युद्ध में पराजित कर दिया था।
तीसरी घटना
खर-दूषण के पराजित होने के बाद शूर्पणखा लंका में अपने भाई रावण के पहुंचती है। शूर्पणखा रावण को सीता की सुंदरता के बारे में बताती है। रावण शूर्पणखा की बातें सुनकर सीता का हरण करने की योजना बनाकर मारिच के पास पहुंच जाता है।
चौथी घटना
रावण मारिच को सोने का हिरण बनने का आदेश देता है। मारिच रावण की आज्ञा मानकर सोने का हिरण बन जाता है, जिसे देखकर सीता आकर्षित हो जाती हैं और राम से हिरण को लेकर आने की बात कहती हैं। सीता की इच्छा पूरी करने के लिए राम हिरण के पीछे चले जाते हैं। जब श्रीराम हिरण को बाण मारते हैं तो मारिच अपने असली रूप में आ जाता है और लक्ष्मण-लक्ष्मण चिल्लाने लगता है।
पांचवीं घटना
जब राम हिरण के पीछे जाते हैं तो पंचवटी में सीता की रक्षा के लक्ष्मण थे, लेकिन जब जंगल में से लक्ष्मण-लक्ष्मण की आवाज आती है तो सीता लक्ष्मण को अपने भाई की मदद के लिए भेज देती हैं। लक्ष्मण के जाने के बाद कुटिया में सीता अकेली रह जाती हैं, उस समय रावण वहां पहुंच जाता है और छल से सीता का हरण कर लेता है।
जटायु ने किया था रावण से युद्ध
जब श्रीराम और लक्ष्मण लौटकर अपनी कुटिया में आते हैं तो सीता को न पाकर वे सीता को खोजने लगते हैं। कुटिया से कुछ दूरी पर उन्हें जटायु मिलता है। जटायु ने श्रीराम के बताया कि रावण सीता का हरण करके दक्षिण दिशा में ले गया है। जटायु ने भी बताया कि उसने रावण से युद्ध किया था, लेकिन रावण ने उसे पराजित कर दिया।
इस जगह का नाम पंचवटी क्यों पड़ा?
इस जगह को पंचवटी कहते हैं, क्योंकि यहां पांच वट वृक्ष एक साथ थे, इन पांच वट वृक्षों की वजह से इस जगह को पंचवटी कहा जाता है।
ये हैं पंचवटी से जुड़ी खास बातें
पंचवटी से लगभग 30 किमी दूर ब्रह्मगिरि पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी की शुरुआत मानी जाती है। पंटवती में सुंदर नारायण नाम का मंदिर है। मंदिर में तीन मूर्तियां हैं, जिनका रंग काला है। इनमें बीच में भगवान नारायण और आसपास देवी लक्ष्मी की मूर्तियां हैं।
सुंदर नारायण मंदिर से कुछ दूर सीता गुफा है। यहां भी भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी सीता इस गुफा में ठहरी थीं। पंचवटी का कालेराम मंदिर भी बहुत खास है। मान्यता है कि श्रीराम जब पंचवटी आए थे, तब उन्होंने इसी जगह पर आराम किया था।
पंचवटी से कुछ दूर वो जगह आज भी है, जहां पर भगवान राम ने जटायु का अंतिम संस्कार किया था। यहीं पर श्रीराम ने जटायु के तर्पण के लिए धरती पर बाण मारकर धरती से जल निकाला था। यहां स्थित कुंड को सर्वतीर्थ कुंड कहते हैं।
कैसे पहुंच सकते हैं नासिक
मुंबई से नासिक लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वायु मार्ग से मुंबई पहुंचने के बाद यहां से रेल, बस या टैक्सी से नासिक पहुंच सकते हैं। अगर सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो नासिक पहुंचने के लिए सभी बड़े शहरों से कई वाहन उपलब्ध हो सकते हैं।
मुंबई से नागपुर, कोलकाता, बिहार और उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाली किसी भी ट्रेन से यहां पहुंच सकते हैं।
0 टिप्पणियाँ