रामलला का इंदौर में 126 साल पुराना अनूठा मंदिर है। यहां गर्भगृह में भगवान राम के साथ ठाकुरजी व रामजी का पूरा परिवार यानी भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम का यह दरबार बड़ा गणपति मंदिर के पास (कुएं वाली गली) स्थित है। लाल पत्थरों से बना है, भक्त इसे लाल मंदिर के नाम से जानते हैं।
यहां समय की पाबंदी ऐसी कि आरती के समय से लोग अपनी घड़ी मिलाते हैं। स्थापना के समय से सुबह की आरती 5.30 व रात की 9 बजे हो रही है। इसमें कभी चूक नहीं हुई। मंदिर की स्थापना लालदास महाराज (लाल बाबा) ने की थी। वे समय के बड़े पाबंद थे। ‘भक्ति और सफलता की पहली सीढ़ी है समय की पाबंदी’ यह मंदिर का ध्येय वाक्य भी है।
देश का ऐसा संभवत: पहला मंदिर...
इस मंदिर की एक खासियत और है। मंदिर के गर्भगृह में सबसे ऊपर राम-सीता, लक्ष्मण की मुख्य मूर्ति हैं। उसके बाद ठाकुरजी विराजमान हैं। इसके बाद चारों भाई सपत्नीक राम-सीता, भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला और शत्रुघ्न-श्रुतकीर्ति विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि संभवत: इस तरह का देश में पहला मंदिर है।
एमजी रोड निवासी 85 वर्षीय पं. कल्याणदत्त शास्त्री कहते हैं रामजी के प्राचीन मंदिरों में से एक यह भी है, जिसका अपना पौराणिक महत्व है।
सुभाष मार्ग निवासी महेशानंद कहते हैं काफी समय से हम मंदिर आ रहे हैं। रात के 9 बजते ही आरती शुरू हो जाती है। यही क्रम सुबह 5.30 बजे का है।
58 वर्षीय कमल अग्रवाल कहते हैं समय की पाबंदी इस मंदिर से सीखें। बचपन से देख रहे हैं, किसी भी परिस्थिति में आरती लेट नहीं होती है।
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