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महाष्टमी शनिवार को:रात 1.30 तक रहेगी अष्टमी, नवरात्रि में इस तिथि पर कन्या पूजन से मिलेगी परेशानियों से मुक्ति

 


नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है। आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है। लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं। शनिवार को रात में 1.30 बजे तक अष्टमी रहेगी। इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी। विद्वानों का कहना है कि दुर्गाष्टमी पर रात में होने वाली महापूजा 12 बजे से पहले शुरू कर देनी चाहिए। इसके बाद पूर्णाहुति नवमी तिथि भी की जा सकती है।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ.गणेश मिश्र का कहना है कि नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इसके पीछे भी शास्त्रों में वर्णित तथ्य यही हैं कि 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं। इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें। कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं।

कन्याएं और उनका देवी रूप
2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है। इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है।
3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है।
4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है। इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है।
5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है। इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है।
6 साल की कन्या कालिका होती है। इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है।
7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है। इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है।
8 साल की कन्या शांभवी होती है। इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है।
9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है। इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं।
10 साल की कन्या सुभद्रा होती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।

कन्या पूजन के फायदे
विवाह में देरी: 
यदि शादी में देरी हो रही है तो पांच साल की कन्या को खाना खिलाकर। श्रृंगार का सामान भेंट करें।
धन संबंधी समस्या: पैसों की कमी से परेशान हैं तो चार साल की कन्या को खीर खिलाएं। इसके बाद पीले कपड़े और दक्षिणा दें।
शत्रु बाधा और काम में रुकावटें: नौ साल की तीन कन्याओं को भोजन सामग्री और कपड़ें दें।
पारिवारिक क्लेश: तीन और दस साल की कन्याओं को मिठाई दें।
बेरोजगारी: छह साल की कन्या को छाता और कपड़ें भेंट करें।
सभी समस्याओं का निवारण: पांच से 10 साल की कन्याओं को भोजन सामग्री देकर दूध, पानी या फलों का रस भेंट करें। सौन्दर्य सामग्री भी दें।

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