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ऑनलाइन चोरी हो सकती है आपकी पहचान, जानिए इससे कैसे बच सकते हैं

सायबर सुरक्षा से संबंधित सारी सावधानियां ध्यान में रखते हुए हम सोशल मीडिया का इस्तेमाल सतर्कता से करने लगे हैं। किंतु फर्ज़ी प्रोफाइल से फ्रेंड रिक्वेस्ट, मैसेज, पासवर्ड हैकिंग जैसे तमाम साइबर क्राइम के साथ जालसाज़ आपकी पहचान भी चुरा सकते हैं। आपका नाम और तस्वीर का उपयोग करके दूसरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

पर ‘पहचान’ चुराते क्यों हैं?

पहचान चुराने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि जालसाज़ आपके दोस्तों या परिचितों को सोशल मीडिया पर मैसेज करके पैसे मांग सकते हैं या फर्ज़ी डोनेशन की मांग कर सकते हैं। इसके लिए वो यूपीआई का उपयोग करने के लिए कह सकते हैं। कुछ जालसाज़ दंगे भड़काने या आपत्तिजनक कमेंट करने के लिए पहचान चुरा सकते हैं।

वहीं कुछ मामलों में दुश्मनी इसका कारण बन सकती है। यदि आपकी किसी से दुश्मनी है या किसी को आपसे ईर्ष्या है, तो गलत इरादों से भी पहचान चोरी की जा सकती है।

कैसे होती है पहचान चोरी?

कई तरह के सोशल और प्रोफेशनल मीडिया का हम इस्तेमाल करते हैं। उनमें अपनी निजी जानकारियां, जैसे तस्वीर, नाम, ई-मेल आईडी, शहर जहां आप रहते हैं, उम्र, कहां पढ़ाई की है, कहां नौकरी करते हैं आदि मौजूद होती हैं। अगर ब्लॉग है तो उसका लिंक प्रोफाइल इंफो में साझा करते हैं, उसमें भी सारी निजी जानकारियां मौजूद होती हैं। वहीं प्रोफेशनल सोशल मीडिया साइट्स पर सीवी भी अपलोड रहता है जिससे आसानी से पहचान चुराई जा सकती है। इसके अलावा सोशल मीडिया अकाउंट को किसी वेबसाइट पर लॉगइन करने के लिए इस्तेमाल करना भी पहचान को खतरे में डाल सकता है।

जानकारी सार्वजनिक न रखें

  • सोशल मीडिया अकाउंट्स की सेटिंग प्राइवेट रखें। तस्वीरें साझा करने से पहले प्रायवेसी सेंटिग भी जांच लें।
  • सोशल मीडिया पर उन्हें जोड़ें जिन्हें आप जानते हैं।
  • सोशल मीडिया से वेबसाइट पर लॉगइन नहीं करें।
  • लाइक्स और फॉलोवर बढ़ाने के लिए थर्ड पार्टी एप्स का इस्तेमाल न करें क्योंकि इनको उपयोग करने के लिए उसी सोशल मीडिया अकाउंट से लॉगइन करना होता है। अनजाने में हम अपना यूज़र आईडी और पासवर्ड उस एप से साझा कर बैठते हैं।

सायबर ठगों से ऐसे कर सकते हैं बचाव

पासवर्ड साझा न करें

कई बार हम जिन पर विश्वास करते हैं, दोस्त समझते हैं वही हमारे सबसे बड़े दुश्मन साबित होते हैं। बेहतर होगा सोशल मीडिया पासवर्ड किसी से साझा न करें। अगर कोई क़रीबी पासवर्ड मांगता है तब भी उससे साझा न करें। बैंक खाते की तरह सोशल मीडिया खाते की जानकारी भी केवल आपके पास होनी चाहिए। इस बात का भी ख़्याल रखें कि पासवर्ड ऐसा न हो जिसका अंदाज़ा लगाना बहुत आसान हो, जैसे किसी परिजन का नाम, मोबाइल नंबर या पसंदीदा वस्तु पर आधारित पासवर्ड।

लॉगआउट ज़रूर करें

कई बार दोस्त या क़रीबी ज़रूरी काम के लिए हमारा कम्प्यूटर या लैपटॉप मांग लेते हैं। अगर ये ख़राब हो जाते हैं तो इन्हें सर्विस सेंटर में भी हम डालते हैं। लिहाज़ा किसी को लैपटॉप या कंप्यूटर देने से पहले सोशल मीडिया वेबसाइट से लॉगआउट करना न भूलें। मोबाइल में भी हर मैसेंजर और सोशल मीडिया एप में लॉक सेट कर दें, ताकि पासवर्ड से इन्हें केवल आप खोल सकें।

फेक प्रोफाइल जानें

समय-समय पर जांचें कि कहीं आपकी पहचान का कोई इस्तेमाल तो नहीं कर रहा। इसके लिए सोशल मीडिया पर अपना नाम खोज सकते हैं। ब्राउज़र पर नाम और शहर का नाम डालकर फोटो में देख सकते हैं। अगर किसी ने तस्वीर उपयोग की होगी तो यहां नज़र आ जाएगी। अगर किसी परिचित की फ्रेंड रिक्वेस्ट आती है जो पहले से आपकी फ्रेंड लिस्ट में है, तो उससे इसके बारे में पूछ सकते हैं। आमतौर पर जालसाज़ पहचान का उपयोग करके मैसेज करते हैं इसलिए सचेत रहें।

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