- कोर्ट में असंसदीय भाषा का उपयोग गलत : जस्टिस श्रीधरन
इंदौर से नाता रखने वाले व फिलहाल हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच में पदस्थ जस्टिस अतुल श्रीधरन ने एक मामले में सुनवाई कर फैसला दिया कि वकीलों को सीनियर एडवोकेट उनके ज्ञान के लिए नहीं, बल्कि उनके व्यवहार को देखते हुए भी बनाया जाता है। वे संयमित रहकर काम करें और कोर्ट की मदद करें, ऐसी उनसे उम्मीद की जाती है। सीनियर एडवोकेट मृगेंद्र सिंह ने कोर्ट में असंसदीय भाषा का उपयोग किया। मुझे पता है कि वे स्टेट बार काउंसिल से जुड़े हैं। काउंसिल उन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी, लेकिन मैं फिर भी काउंसिल से कहना चाहता हूं कि इस मामले में उन पर कार्रवाई करे।
दरअसल, पिछले दिनों भोपाल में एक आईपीएस अधिकारी शैलेष सिंह की पत्नी सुनीता सिंह ने अपने भाई प्रहलाद सिंह के खिलाफ 64 लाख रुपए के चेक बाउंस हो जाने पर एफआईआर दर्ज कराई थी। वहीं जिला कोर्ट में भी चेक बाउंस का मामला चल रहा था। प्रहलाद सिंह ने एफआईआर को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनीता सिंह की ओर से सीनियर एडवोकेट मृगेंद्र सिंह ने याचिका पर आपत्ति ली थी।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि चूंकि आईपीएस अधिकारी की पत्नी हैं, तो पुलिस ने तत्काल केस दर्ज कर लिया। कोई गरीब आदमी का मामला होता तो उसे केस दर्ज कराने में पसीने छूट जाते। दुर्भावनापूर्ण तरीके से केस दर्ज किया गया है। इस पर सीनियर एडवोकेट ने कहा कि एेसा तो न्यायिक क्षेत्र में भी होता है। इस पर जस्टिस श्रीधरन ने आपत्ति ली।
उन्होंने सीनियर एडवोकेट के खराब व्यवहार पर स्टेट बार काउंसिल को हस्तक्षेप करने के लिए कहा। वहीं पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को भी निरस्त कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि चेक बाउंस के मामलों के लिए अलग से कानून है। एक कानून के तहत मामला चलने पर दूसरे कानून का सहारा लिया जाए तो उसका कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।
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