देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में सोमवार को अलग ही नजारा था। मौका था इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के दीक्षांत समारोह का। पहली बार सात राज्यों के पिछले दो साल में चुने गए 1100 से अधिक चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को इंस्टिट्यूट के पदाधिकारियों द्वारा चार्टर्ड अकाउंटेंट परिवार में शामिल किया गया। उपाधि हासिल करने वालों में 52% लड़कियां और 48% लड़के हैं।
मुख्य अतिथि सीए मनोज फडनीस ने सभी नए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट’ के इतिहास से अवगत कराया। उन्होंने बताया पहले भारत से अकाउंटेंट बनने वालों को ‘रजिस्टर्ड ऑडिटर’ कहते थे और सिर्फ इंग्लैंड से पढ़ाई करने वालों को चार्टर्ड अकाउंटेंट कहते थे।
भारत से अकाउंटेंट बनने वालों ने चार्टर्ड अकाउंटेंट का पद पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है। सीए केमिशा सोनी के सभी नए अकाउंटेंट्स को प्रैक्टिस के साथ-साथ किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने की सलाह दी और कहा कि हमेशा नए कानूनों से खुद को अवगत रखें।
शादी के बाद पढ़ाई छूटी, दोबारा कोशिश में सफल
आकांक्षा माने के नौ साल में सीए बनने की खुशी में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य आए। 2015 में शादी के बाद आकांशा की सीए की पढ़ाई कुछ साल रुक गई थी। दोबारा पढ़ाई पर ध्यान लगाकर आकांक्षा ने 2021 में आखिरकार सफलता हासिल की।
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