वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर देवी पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन दस महा विद्याओं में एक देवी बगलामुखी का प्राकट्य दिवस भी मनाया जाता है। इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। देवी पुराण में बताया गया है कि इस तिथि पर अपराजिता रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन देवी पूजा से बीमारियों से छुटकारा मिलने लगता है।
अष्टमी तिथि 8 और 9 मई को
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 8 मई की शाम करीब 5 बजे शुरू होगी और अगले दिन शाम साढ़े 6 बजे तक रहेगी। मंगलवार को अष्टमी तिथि में सूर्योदय होने से ये व्रत 9 मई को किया जाएगा।
अष्टमी तिथि शुरू: 8 मई, रविवार शाम 5 बजे से
अष्टमी तिथि खत्म: 9 मई, सोमवार शाम 06.30 पर
अपराजिता पूजा
हर महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी व्रत करने का विधान है। इस बार 9 मई को वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री दुर्गाष्टमी का व्रत किया जायेगा। ग्रंथों में वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के अपराजिता रूप की प्रतिमा को कपूर और जटामासी युक्त जल से स्नान कराने और खुद आम के रस से नहाने का महत्व है। अगर ऐसा न कर पाएं तो पानी में आम के रस की कुछ बूंदे और थोड़ा सा गंगाजल मिला कर नहाना चाहिए।
बगलामुखी प्राकट्य दिवस
वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी बगलामुखी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है । लिहाजा इस दिन बगलामुखी जयंती भी है। देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से माना जाता है । मां बगलामुखी को शत्रुनाश की देवी भी कहा जाता है। इनकी नजरों से कोई शत्रु नहीं बच सकता। इसलिए मां बगलामुखी की पूजा शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिये, किसी को अपने वश में करने के लिये और अपने कार्यों में जीत हासिल करने के लिये, खासकर कि कोर्ट-कचहरी से संबंधित कार्यों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये रामबाण है।
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