सफल शादीशुदा जीवन के लिए बेहतर तालमेल और आपसी समझ का होना बेहद ज़रूरी है। इस तालमेल में कड़वे बोलों या तानों का आना खटास पैदा करता है और समझ बनने में बाधा उत्पन्न करता है। यह रिश्ते में बंधे उस साथी का अपमान ही नहीं है, जो साथ निभाने की हरचंद कोशिश कर रहा है, यह व्यक्ति के तौर पर उसकी भूमिका का नकारा जाना भी है। इन दोनों कमियों की मौजूदगी में किसी भी रिश्ते की संवार मुमकिन नहीं है। बात-बात पर ताने मारना, छोटी-छोटी बातों को तूल देना, हमेशा सामने वाले के कार्य को कमतर दिखाना या उसके द्वारा किसी कार्य में की गई मेहनत को नज़रअंदाज़ करना जैसे व्यवहार दरअसल, रवैया नहीं बल्कि आदत होते हैं। इस तरह के लोग अपने साथी के कार्यों की तारीफ़ भले ही न करें, लेकिन एक छोटी-सी कमी दिखने पर झल्ला उठते हैं। ज़ाहिर है ऐसे व्यवहार के साथ दूसरा साथी हमेशा तनावग्रस्त और परेशान रहता है, दूरियों बढ़ती जाती हैं और सदा के लिए अलगाव भी हो सकता है। कारणों को समझकर स्थिति को बेहतर करने का प्रयास किया जा सकता है। आइए एक नज़र डालते हैं।
इस तरह के व्यवहार का कारण क्या है?
घर का वातावरण किसी घर में पुरुषों द्वारा ज़्यादातर कार्य ताने मारकर या बातें सुनाकर ही करने की आदत रही हो, तो फिर वह व्यक्ति भी शादी के बाद अपने साथी से उसी तरह का व्यवहार करता है जैसे खाने में नमक अधिक होने पर मेहमान के सामने ताने मार देना कि ‘ये तो रोज़ का है, हमें तो आदत हो गई है।’ समझ में अंतर लोग अपनी कमियों को छुपाने के लिए भी इस तरह का व्यवहार करते हैं। जैसे अगर किसी व्यक्ति की पत्नी नौकरीपेशा है या उसका वेतन पति की तुलना में अधिक है, तो ऐसे में पति कई बार अपनी नाराज़गी ताने मारकर या ग़लत तरीक़े से बात करके ज़ाहिर करते हैं। दूसरों के सामने वाहवाही पुरुषों के साथ अक्सर ये समस्या देखी जाती है कि वे दूसरों के सामने अपनी धाक जमाने के लिए महिलाओं के कार्यों में कमियां निकालते हैं या ताने मारते हैं। ऐसा करके उन्हें लगता है कि वे पुरुषत्व का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। वे ये बताने की कोशिश करते हैं कि गृहस्थी में उनका महत्व अधिक है। स्वास्थ्य संबंधी समस्या यदि साथी किसी न्यूट्रीशनल डेफिशियेंसी (पोषण न्यूनता) से ग्रस्त है या फिर किसी भी तरह के हॉर्मोन असंतुलन से प्रभावित है तो यह उसके व्यवहार में भी नज़र आएगा। वह थका हुआ व चिड़चिड़ा रहेगा जिसका असर ग़ुस्से, नाराज़गी या फिर कमियां निकालने के रूप में नज़र आएगा।
ये है समाधान
उनके व्यवहार की एक वीडियो क्लिप बनाकर उन्हें दिखाएं। साइकोथैरेपी के तहत यह एक कारगर तरीक़ा है। इससे उन्हें काफ़ी हद तक ख़ुद का आकलन करने और व्यवहार में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।
अगर आपको लगता है कि हंसकर बात को टाल देना ही ठीक है तो ऐसी भूल न करें। अपनी बात को स्पष्टता से रखें। सामने वाले को बताएं कि उनकी कौन-सी बात आपको नापसंद है। रिश्ते में स्पष्टवादिता ज़रूरी है।
सामने वाला व्यक्ति बच्चों के सामने चिल्लाकर या ग़लतियां गिनाकर बात करता है तो इस बारे में खुलकर बात करें, क्योंकि इससे बच्चों के सामने आपकी छवि ख़राब होती है। और दूसरी बात यह कि बच्चे जो देखते हैं वे भी उसी तरह का व्यवहार करने की कोशिश करते हैं।
पति का सभी के सामने ग़लतियां निकालना आम है और आप इसे मात्र आदत मानती हैं तो ये ख़तरे की घंटी है। इसीलिए साफ़ करें कि अगर कुछ बताना है तो अलग से जाकर बताएं न कि सभी के सामने मखौल उड़ाएं।
यदि आप झगड़े से बचने के लिए चुप्पी साध लेना ही बेहतर समझती हैं तो ये नुकसानदायक हो सकता है। आपकी चुप्पी कब अवसाद में बदल जाएगी पता भी नहीं चलेगा। इसीलिए चुप रहकर सहने की ग़लती न करें।
कई बार नाराज़गी में दोनों पक्ष एक-दूसरे की ग़लतियां निकालने बैठ जाते हैं और ऐसे में बात और बढ़ जाती है। इसीलिए तत्काल प्रतिक्रिया देने की अपेक्षा सही समय का इंतज़ार करना भी कई बार ठीक होता है। उचित अवसर पर अपनी बात को सामने रखा जा सकता है।
अब बात आती है कि अगर सामने वाला आपकी बात को सुनता ही न हो तो क्या किया जाए। ऐसे में जब घर का वातावरण सामान्य हो तो उस दौरान आप ये अभ्यास करके देखें। दोनों ही साथी एक-दूसरे से अपनी-अपनी अच्छी व बुरी 5 आदतों को बताने के लिए कहें। इससे आप अपनी बात भी सामने वाले तक पहुंचा सकेंगी और सामने वाले के मन को भी जान सकेंगी।
ये सभी समस्याएं पति-पत्नी के बीच की हैं। ऐसे में समाधान उन्हें ख़ुद ही निकालना होगा। किसी तीसरे व्यक्ति का रिश्ते में दखल, पति-पत्नी के रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है। समय रहते सुलझाकर हल निकाला जाए।
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