हिजरी संवत के शव्वाल महीने का आखिरी रोजा सोमवार को हुआ और चांद भी नजर आया। इसलिए आज ईद उल फितर मनेगा। आज अक्षय तृतीया और ईद, दोनों ही त्योहार साथ मनाए जा रहे हैं। ऐसा संयोग पिछले साल भी बना था।
हिंदू धर्म में जहां अक्षय तृतीया पर दान देने का विशेष महत्व है। वहीं, मीठी ईद के मौके पर जकात यानी दान देने का भी रिवाज है, जिसे गरीबों के लिए निकालना धार्मिक मान्यताओं में बड़ा फर्ज बताया गया है। साथ ही सभी की सलामती व अमन के लिए इस मौके पर मस्जिदों में दुआ की जाती है।
जकात: सालाना बचत के एक हिस्से का दान
कुरान में ज़कात अल-फ़ित्र को जरूरी बताया गया है। जकात यानी दान को हर मुसलमान का फर्ज कहा गया है। ये गरीबों को दिए जाने वाला दान है। परंपरागत रूप से इसे रमजान के आखिरी में और लोगों को ईद की नमाज पर जाने से पहले देते हैं।
मुस्लिम अपनी संपत्ति को पवित्र करने के रूप में सालाना बचत का एक हिस्सा जरूरतमंद लोगों को कर के रूप में देते हैं। दुनिया के कुछ मुस्लिम देशों में ज़कात स्वैच्छिक है, वहीं अन्य देशों में यह अनिवार्य है।
पहले होती है नमाज अदा
ईद-उल-फितर के दिन मुस्लिम भाई नए कपड़े पहनकर मस्जिदों में नमाज पढ़कर खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें रमजान में रोजे रखने की ताकत मिली। साथ ही जीवन में पवित्रता, सादगी, इंसानियत और दूसरों की मदद करने, ईमान पर चलने के जज्बे के साथ जिंदगी जीने की ताकत मिले। सभी की सलामती और अमन के लिए इस मौके पर मस्जिदों में दुआ की जाती है।
मदीना में शुरू हुआ ईद-उल-फितर
मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया, इसलिए इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाते हैं। कहा जाता है कि पहली बार ईद-उल-फितर 624 ईस्वी में मनाया गया था।
पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने कहा है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस तरह ईद मनाने की परंपरा शुरू हुई।
दसवें महीने की पहली तारीख को मनाते हैं मीठी ईद
ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से जाना जाता है। यह मुस्लिम भाइयों का पवित्र त्योहार है, जो भारत समेत पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, रमजान के बाद 10वें शव्वाल यानी इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है। ईद की तारीख चांद देखकर निश्चित की जाती है। इस साल 2 मई को चांद का दीदार होने से आज मनाया जा रहा है।
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