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महामारी से नया ट्रेंड; पिछले वर्ष दो लाख करोड़ रुपए के बिके सेहत पर नजर रखने वाले डिवाइस

  • वियरेबल डिवाइस मेडिकल साइंस के क्षेत्र में बड़ा बदलाव करेंगे

यह एक अदृश्य हत्यारा है। जब दिल के चैम्बरों की धड़कन अनियमित होती है तो खून के थक्के बनते हैं। मेडिकल साइंस की भाषा में यह एट्रियल फिब्रिलेशन है। अकेले ब्रिटेन में इससे हर साल एक लाख से अधिक लोगों की मौत होती है। अगर इलाज होता तो अधिकतर लोगों को बचाया जा सकता था। बीमारी के टेस्ट महंगे और अस्पष्ट हैं। लेकिन, जल्द ही एपल वॉच और फिटबिट्स से इसकी पहचान संभव होगी। यह चिकित्सा विज्ञान में हो रहे बदलाव का एक उदाहरण है। स्मार्ट वॉच, रिंग्स, फिटनेस ट्रैकर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वियरेबल डिवाइस शारीरिक स्थिति और व्यवहार में आने वाले 7500 बदलावों को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
2015 में एपल ने अपनी पहली वॉच लॉन्च की थी। उससे छह साल पहले फिटबिट्स का फिटनेस ट्रैकर बिक रहा था। बाजार में स्वास्थ्य से संबंधित 500 से अधिक वियरेबल डिवाइस मौजूद थे। मार्केट रिसर्च कंपनी सीसीएस इनसाइट के अनुसार 2015 में स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकरों की बिक्री 61479 करोड़ रुपए की हो चुकी थी। इधर, 2021 में दुनियाभर में वियरेबल डिवाइस पर 2.22 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए। कोविड-19 महामारी ने वियरेबल हेल्थ, फिटनेस डिवाइस का उपयोग बढ़ाया है। रिसर्च फर्म गार्टनर के रंजीत अटवाल कहते हैं, महामारी से पहले पहने जाने वाले डिवाइस को डिस्पोसेबल मानते थे। अब बड़ी संख्या में लोगों ने केवल गतिविधि ही नहीं बल्कि अपने स्वास्थ्य से जुड़ी किसी खास स्थिति पर नजर रखने के लिए इन डिवाइस का उपयोग शुरू कर दिया है। अमेरिका और यूरोप में डॉक्टरों ने अपने मरीजों की जानकारी लेने के लिए वियरेबल डिवाइस के चार्ट देखना शुरू किए हैं।
वियरेबल डिवाइस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तीन बड़े तरीकों- जल्द डॉयग्नोसिस, खास व्यक्तिगत इलाज और लाइलाज बीमारियों पर नियंत्रण- से हेल्थ केयर में बदलाव के लिए तैयार हैं। इनसे खर्च कम होगा और जीवन बचेंगे। बीमारी की जल्द पहचान पर गौर किया जा सकेगा। वियरेबल डिवाइस ऐसे मामूली परिवर्तनों को खोज सकते हैं जिन पर आमतौर से नजर नहीं जाती है। अगर किसी बुजुर्ग का संतुलन कमजोर होने लगेगा तो बुढ़ापे की बीमारी- पार्किंसंस की प्रारंभिक स्थिति पता लग जाएगी। स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर नजर से मानसिक स्थिति का निदान हो सकेगा। स्मार्ट रिंग से महिला के गर्भधारण का पता लग जाएगा।
अलग-अलग लोगों के अलग इलाज की संभावना भी बढ़ेगी। अधिकतर दवाइयां 30 से 50% मरीजों पर कारगर होती हैं। वियरेबल डिवाइस के डेटा से बने अल्गोरिदम के कारण वजन घटाने, डायबिटीज पर नियंत्रण जैसी दवाइयां लोगों की जरूरत के मुताबिक देना संभव होगा। हर किसी के लिए एक जैसे औसत इलाज की जरूरत नहीं पड़ेगी। जर्मनी में एक ट्रायल में लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने से दिल के दौरे से मृत्यु दर कम हुई है। मरीजों के अस्पताल में रहने के दिन एक तिहाई कम हुए हैं। वियरेबल डिवाइस से डायबिटीज जैसी स्थायी बीमारियों में स्थिति बेहतर होगी। 80% लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन से डायबिटीज रोकना संभव है। छोटे डिवाइस लोगों के चलने, खान-पान और नींद के समय की जानकारी देकर सुधार का रास्ता बनाते हैं।
इनोवेशन के लिए स्मार्टफोन अच्छा प्लेटफार्म हैं। एक या दो साल के अंदर कलाई में लगा डिवाइस ब्लड शुगर, अल्कोहल और पानी की स्थिति का पता लगा सकेंगे। वे किडनी और लिवर की स्थिति की भी जानकारी देंगे। इसके लिए शरीर से खून निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसी भी टेक्नोलॉजी के समान वियरेबल डिवाइस चिंता भी पैदा करते हैं। स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां अमूल्य हैं। डिवाइस निर्माता, बीमा कंपनियां या सामाजिक नियंत्रण में दिलचस्पी रखने वाली सरकारें इनका दुरुपयोग कर सकती हैं।
2026 तक 40 करोड़ डिवाइस बिकने का अनुमान

अमेरिका में मोबाइल फोन के समान स्मार्टवॉच की बिक्री तेजी पकड़ रही है। 2021 में चार में से एक अमेरिकी के पास स्मार्ट वॉच या फिटनेस ट्रैकर था। ब्रिटेन और फिनलैंड जैसे यूरोपीय देशों में यही दर है। 2021 में उत्तर अमेरिका में वियरेबल डिवाइस की बिक्री 2015 के मुकाबले दोगुनी हो गई। पश्चिमी यूरोप और चीन में तीन गुना रही। 2019 में एपल ने समूची स्विस वॉच इंड्स्ट्री से अधिक स्मार्ट वॉच बेची थी। 2026 तक सभी ब्रांड के 40 करोड़ डिवाइस बिकने का अनुमान है। यह 2020 के 20 करोड़ से दोगुना है।

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