- मंदसौर कलेक्टर ने पूछा- अभी निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के मुताबिक कराने की व्यवस्था है तो बिना उसके चुनाव कैसे करवाएं?
- जिला नगरीय निकाय एवं ब्लाक स्तर पर ट्रेनिंग के लिए मास्टर ट्रेनर्स का चयन कर लें
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा रखे गए ट्रिपल टेस्ट का अर्थ न होने के कारण नगरीय निकाय चुनावों में भी ओबीसी का आरक्षण शून्य हो गया है, जिसका नोटिफिकेशन सरकार जल्दी ही जारी करेगी। राज्य निर्वाचन आयोग के कार्यालय में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों की तैयारी को लेकर प्रदेश के सभी 52 जिलों के कलेक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की।
इस दौरान मंदसौर कलेक्टर गौतम सिंह ने पूछा कि मौजूदा स्थिति में नगरीय निकायों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के हिसाब से कराए जाने की व्यवस्था है, तो चुनाव कैसे करवाए जाएं। इसके जवाब में राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें सामान्य होंगी, राज्य सरकार इसका नोटिफिकेशन कर रही है, देरी हुई तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हम कर देंगे। इसलिए चुनाव की तैयारी कीजिए, लिहाजा ओबीसी सीटें सामान्य में गिनी जाएंगी यानी दोबारा आरक्षण की जरूरत नहीं होगी।
पन्ना कलेक्टर संजय मिश्रा ने पूछा कि चुनाव कब तक करवा लिए जाएंगे। इसके जवाब में सिंह ने कहा कि हमारी तैयारी जून के अंत तक दोनों चुनाव करा लिए जाएंगे। सिंह ने कहा कि कलेक्टर दोनों चुनाव एक साथ कराए जाने की व्यवस्था करें। तैयारी ऐसी हो किसी प्रकार की कठिनाई न हो। कोई समस्या हो तो तुरत राज्य निर्वाचन आयोग को बताएं। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों की समीक्षा कर बताएं। रिटर्निंग और सहायक रिटर्निंग अधिकारी की नियुक्ति कर दी जाए। जिला नगरीय निकाय एवं ब्लाक स्तर पर ट्रेनिंग के लिए मास्टर ट्रेनर्स का चयन कर लें। संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों पर विशेष ध्यान रखें। नगरीय निकायों में पार्षदों का चुनाव करवाया जाए। महापौर और अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षदों द्वारा किया जाएगा।
दो चरणों में नगरीय निकाय और तीन चरणों में होंगे पंचायतों के चुनाव
प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव ईवीएम और पंचायतों के (पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य) चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। इसकी वजह आयोग के पास चुनाव कराए जाने के लिए 54 हजार ईवीएम और डेढ़ लाख कंट्रोल यूूनिट है, जिससे नगरीय निकाय या पंचायत दोनों में से एक चुनाव कराया जा सकता है, लिहाजा पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएंगे। इसलिए मतपेटियों के माध्यम से पंचायत चुनाव कराने की व्यवस्था की जाए। निकायों के चुनाव दो चरणों में पंचायत चुनाव 3 चरणों में कराए जाएंगे।
सीएम ने मंत्रियों से कहा- अब पीछे नहीं हट सकते, सक्रिय हो जाओ...
देर रात संशोधित याचिका सुप्रीम कोर्ट में सबमिट
ओबीसी आरक्षण लागू कराने के लिए राज्य सरकार ने देर रात संशोधित याचिका (मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन) सुप्रीम कोर्ट में सबमिट कर दी। एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने इसकी पुष्टि की। संभावना है कि दो-तीन दिन में इस पर सुनवाई हो सकती है। इस याचिका में सरकार ने प्रमुख रूप से तीन बातों को शामिल किया है, जिसके आधार पर वह सुप्रीम कोर्ट से कहेगी कि ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं हों। इस बीच, सरकार चुनाव की तैयारी में जुट गई है। इधर, कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा कि वे क्षेत्रों में जाकर ओबीसी आरक्षण पर सरकार का पक्ष जनता के बीच रखें। सीएम ने कहा कि जो भी स्थिति है, वह सबके सामने है। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि ओबीसी आरक्षण मिल जाए, जिसको लेकर एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो सकती है। अब हम पीछे नहीं हट सकते। इसलिए मंत्री सक्रिय हो जाएं।
तीन बिंदु, जिस पर पक्ष रखेंगे
- मप्र में 16 नई नगर पंचायतें (परिषद) बनी हैं। इनमें वार्डवार आरक्षण नहीं हो सका है।
- परिसीमन के कारण 286 नई ग्राम पंचायतें भी अस्तित्व में हैं। इतनी जल्दी आरक्षण व तैयारी नहीं हो सकती।
- ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट में तहसील स्तर पर जानकारी जुटाई गई है। लिहाजा इस पर पुनर्विचार किया जा सकता है। सरकार चाहती है कि ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हों
ओबीसी आयोग की पूरी रिपोर्ट पेश होगी
ओबीसी आयोग की पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में रखी जा सकती है। इसमें सभी 413 निकायों में पिछड़े वर्ग की आबादी और उस अनुपात में आरक्षण का जिक्र है। यही रिपोर्ट अब नगरीय प्रशासन विभाग राज्य निर्वाचन आयुक्त को भेजेगा।
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