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भस्मआरती परमिशन में गड़बड़ी:प्रशासनिक कार्यालय से 1100 रुपए दान और 200 रुपए शुल्क लेकर, तत्काल में भी दी जा रही परमिशन

भस्मआरती बुकिंग कराते श्रद्धालु। - Dainik Bhaskar

भस्मआरती बुकिंग कराते श्रद्धालु।

श्री महाकालेश्वर मंदिर की भस्मआरती परमिशन जारी करने में गड़बड़ी सामने आई है । यह कि कुछ दिनों से बाले-बाले ऑफलाइन तौर पर 1300 रुपए लेकर तत्काल में भी परमिशन दी जा रही है। शनिवार को मामला सामने आने पर व्यवस्था से जुड़े प्रमुख अधिकारी गोलमाल जवाब देते नजर आए। वे मामले से पल्ला झाड़ते हुए एक-दूसरे को जिम्मेदार भी ठहराते रहे। श्री महाकालेश्वर मंदिर की भस्मआरती में केवल वे ही श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं, जिनकी बुकिंग व परमिशन होती है।

इसके तहत रोजाना 1500 श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश मिलता है। व्यवस्था के तौर पर इन 1500 श्रद्धालुओं के अलग-अलग कोटे भी तय हैं। जैसे कि इनमें से 300 श्रद्धालुओं को नि:शुल्क व सामान्य तौर पर जबकि 200-200 रुपए शुल्क लेकर 400 श्रद्धालुओं को ऑनलाइन रूप में व 800 श्रद्धालुओं को प्रोटोकाॅल के तहत भस्मआरती में शामिल होने की परमिशन जारी की जाती है। हाल ही में आचार संहिता लागू होने से प्रोटोकाॅल वाले (राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े) कुछ श्रद्धालुओं का कोटा घटाकर सामान्य वाले श्रद्धालु़ओं के लिए बढ़ाया भी गया है। इनके अलावा भस्मआरती में शामिल होने व पंजीयन की और कोई व्यवस्था नहीं रही है लेकिन शनिवार को एक और चौथी व्यवस्था भी सामने आई, जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। मामले में मंदिर प्रशासक गणेशकुमार धाकड़ से चर्चा करना चाही, लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।

  • ऑपरेटर बोले- सहायक प्रशासक अधिकारी तिवारी के निर्देश पर बन रही अनुमति।
  • तिवारी का तर्क- भस्मआरती के प्रभारी जूनवाल को भी सब पता है।
  • जूनवाल बोले- मैं कहां से बीच में आ गया हस्ताक्षर तो तिवारी के ही हो रहे।

इस तरह गड़बड़ी सामने आई- दोपहर में तत्काल में दी जा रही थी कुछ लोगों को भस्मआरती की परमिशन

शनिवार दोपहर करीब 12.35 बजे थे। मंदिर के प्रशासनिक कार्यालय के नीचे वाले काउंटर के बाहर कुछ श्रद्धालु जमा थे। चर्चा में इनमें से एक ने स्वयं का नाम अतुल तिवारी निवासी मुंबई बताया। बोला कि भस्मआरती की परमिशन ले रहे हैं। इस संबंध में जब भीतर बैठे कम्प्यूटर ऑपरेटर से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि तिवारी सर के निर्देश पर रोजाना 15-20 लोगों को तत्काल में भी परमिशन दी जा रही है। इसके एवज में प्रति श्रद्धालु 1100 रुपए दान के व 200 रुपए अनुमति शुल्क के मिलाकर 1300 रुपए लिए जा रहे हैं। यह व्यवस्था कब से शुरू हुई? के सवाल पर ऑपरेटर ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इधर, मुंबई के श्रद्धालु ने बताया कि वे जिस होटल में ठहरे हैं, वहां से और तिवारी जी से उक्त व्यवस्था के बारे में जानकारी मिली थी। बताया गया कि इस दिन 20 से 25 अनुमति जारी हुई है।

सीधी बात- सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरपी तिवारी से

सवाल: 1300 रुपए लेकर भस्मआरती की तत्काल अनुमति जारी करने की नई व्यवस्था शुरू करवाई है क्या?
जवाब:- वो जूनवाल जी बता पाएंगे।

सवाल: यह व्यवस्था तो चल रही है।
जवाब:- हां, व्यवस्था तो महीनेभर से चल रही है लेकिन भस्मआरती के प्रभारी तो जूनवाल जी है।

सवाल:- महीनाभर हुआ या और ज्यादा दिन?
जवाब:- महीनाभर या 15-20 दिन हो गए होंगे।

सवाल:- कितने श्रद्धालुओं को तत्काल अनुमति का लाभ देते हैं?
जवाब:- जूनवाल जी से पूछा, 10-12, 10-12 अनुमति बनती है रोज।

सवाल:- क्या शुल्क रहता है इसका?
जवाब:- अधिकृत रूप से जूनवाल ही बता पाएंगे।

सवाल:- काउंटर वाले ताे आपके निर्देश पर व्यवस्था शुरू होने की बात कह रहे हैं?
जवाब:- हमारे नहीं, प्रशासक की तरफ से व्यवस्था के निर्देश रहते हैं। जिसे अलग-अलग काउंटरों से क्रियान्वित करते हैं। प्रशासक के अनुमोदन से ही यह शुरू हुई है।

सवाल:- जब यह व्यवस्था शुरू हुई तब प्रेस नोट क्यो जारी नहीं करवाया?
जवाब:- अब हो जाएगी सूचना।

सवाल:- इस तरह की नई व्यवस्था शुरू होने की जानकारी सभी श्रद्धालुओं को होना चाहिए ना?
जवाब:- अरे, लिमिटेड व छोटे-मोटे जो अचानक आ जाते हैं, उन्हें ही अनुमति देते हैं। जूनवाल जी से बात करो।

सीधी बात- सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से

सवाल:- 1300 रुपए लेकर भस्मआरती के लिए तत्काल अनुमति देने की व्यवस्था कब से चल रही है?
जवाब:- मुझे जानकारी नहीं, आज ही पता चला है। भस्मआरती तिवारी जी देखते हैं, उन्हें पता होगा।

सवाल:- तिवारी जी कह रहे हैं कि मूलचंद जी प्रभारी हैं, उन्हें इसकी जानकारी है?
जवाब:- मैं, कहा से प्रभारी हो गया इसका। उनके नाम से बन रही है अनुमति।

सवाल:- वे कह रहे हैं कि इस संबंध में आज प्रेस विज्ञप्ति भी जारी करवा रहे हैं।
जवाब:- तिवारी से तो यह पूछो कि अनुमति के सभी कागजों पर तो उन्हीं के हस्ताक्षर हैं, तो मैं (जूनवाल) बीच में कहां से आ गया।

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