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ये कैसी योजना:3893 वर्ग किलोमीटर वन भूमि, इसमें से महज 18 फीसदी यानी 710 वर्ग किमी में ही जंगल

तस्करी से जंगल कट रहे, तेंदुओं का कुनबा लगातार बढ़ रहा, पांच साल में 26 रेस्क्यू, 5 महीने में 5 तेंदुओं की मौत - Dainik Bhaskar

तस्करी से जंगल कट रहे, तेंदुओं का कुनबा लगातार बढ़ रहा, पांच साल में 26 रेस्क्यू, 5 महीने में 5 तेंदुओं की मौत

चोरल रेंज के ग्राम दूधियाबावड़ी में तेंदुए के हमले से छह साल की बच्ची की मौत, सिमरोल में आईआईटी कैंपस में पिंजरे में कैद हुआ तेंदुआ... दरअसल, इंदौर वन मंडल में जंगलाें का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है। कहने को तो वन मंडल का दायरा 3893 वर्ग किमी है, लेकिन इसमें जंगल की बात की जाए तो वो महज 18% यानी 710 वर्ग किमी ही रह गया है।

सबसे ज्यादा प्रभावित चोरल रेंज है, जिसमें सबसे ज्यादा सरकारी योजनाओं के नाम पर पेड़ कट रहे हैं। नर्मदा-शिप्रा, बिजली की ट्रांसमिशन लाइन, रेलवे ट्रैक, फोरलेन के लिए कटाई के प्रोजेक्ट से जंगलों को काफी नुकसान हुआ है।

वहीं तेंदुओं की बात की जाए तो इनका कुनबा अब 100 से अधिक का हो गया है। 2018 में जब गणना हुई थी तो इनकी संख्या 70 के करीब थी। इस बार भी गणना हो चुकी, लेकिन अधिकृत संख्या अभी सामने नहीं आई है। मध्यप्रदेश को टाइगर के साथ ही लैपर्ड स्टेट का भी दर्जा मिला है।

विभिन्न दुर्घटनाओं में 5 तेंदुए मर चुके

5 महीने में चोरल और मानपुर रेंज में पांच तेंदुओं की मौत हो चुकी है। कुएं में गिरने, आपसी लड़ाई और रोड पार करते समय टकराने से तेंदुए मर गए। दरअसल, जंगलों में गर्मी के दिनों में पानी के स्रोत सूख गए हैं। वहीं शिकार भी नहीं बचे हैं। इसी वजह से तेंदुए बसाहट में आ रहे हैं।

संभाग में इंदौर और धार ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा मूवमेंट पाया गया तेंदुओं का, बस्ती में घुसे

पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो इंदौर और धार जिले में सबसे ज्यादा तेंदुए निकलकर बस्ती में आए हैं। 7 जनवरी 2019 को आईआईटी में, 1 फरवरी 19 को कनकारडा (धार), 26 जुलाई 19 को ब्राह्मणपुरी (धार), 7 जून 2020 को फिर से आईआईटी में, 23 फरवरी 20 को अमझेरा (धार), 19 अगस्त 20 को काटरखेड़ा (धार), 27 अक्टूबर को जामनियामोता (धार), 9 नवंबर 20 को रणभंवर, 6 दिसंबर को फिर से रणभंवर (देवगुराड़िया के समीप), 11 मार्च 21 को लिंबोदी, 30 मार्च 22 को आईआईटी में तेंदुआ पकड़ा था।

झाड़ियों में छिपकर आसानी से रह लेता है, बस्ती के कुत्ते इसके प्रिय शिकार होते है

पूर्व अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डाॅ. पीसी दुबे का कहना है कि विडाल वंश में तेंदुए सबसे चालाक और सामान्य परिस्थितियों में भी रह लेने वाला जानवर है। यह झाड़ियों में भी छिपकर आसानी से रह लेता है। वहीं कुत्ता इसका सबसे पसंदीदा शिकार है। दरअसल, चोरल का जंगल बड़वाह और देवास के जंगलों तक फैला हुआ। यही ग्रीन काॅरिडोर इनके लिए सबसे अनुकूल आवास है। इस वजह से तेंदुओं का कुनबा बढ़ रहा है।

नई सेंक्चुरी का प्रोजेक्ट एक साल से अटका है

वन मंडल ने रालामंडल के पीछे तिल्लौर से लेकर चोरल रेंज तक पांच हजार हेक्टेयर के वन क्षेत्र को सेंक्चुरी बनाने का प्रस्ताव एक साल पहले स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा है। बोर्ड की बैठक में इस प्रोजेक्ट पर फैसला होना है। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद यह केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय के पास जाएगा। सेंक्चुरी बनने से जंगल को प्रोटेक्शन के साथ ही विकास कार्य प्रतिबंधित हो जाएंगे।

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