- अल्बर्ट आइंस्टीन कहते हैं कि जि़ंदगी साइकल चलाने के जैसी है। संतुलन बनाए रखने के लिए आपको चलते रहना होता है।
- इसी तरह जीवन में स्वास्थ्य का संतुलन बनाए रखने के लिए भी नियमित रूप से साइकल चलाना ज़रूरी है- चाहे खुले में चलाएं या जिम में।
हम सभी की बचपन की यादों में साइकल की सवारी शामिल होगी। कभी पिता के साथ साइकल पर आगे बैठकर गए होंगे तो कभी दोस्त के साथ साइकल की रेस लगाई होगी। व्यस्तता की वजह से साइकल की जगह अब जीवन में ईंधन वाली गाड़ी ने ले ली हो, लेकिन साइकल सिर्फ़ यात्रा के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक साधन नहीं है, यह संपूर्ण व्यायाम का यंत्र भी है। जो लोग इसके महत्व को समझते हैं वे अपनी सुबह की शुरुआत साइकल से करते हैं।
साइकल के महत्व को समझते हुए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रतिवर्ष 3 जून को विश्व साइकल दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य साइकल चलाने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। साइकल चलाने से कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी फ़ायदे होते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के एक अध्ययन के मुताबिक़ नियमित साइकल चलाने से फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता दुरुस्त होती है। यह मनुष्य को शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से स्वस्थ रखने में मददगार है।
तन को मिलते हैं ये लाभ...
साइकल चलाना शरीर के लिए एक संपूर्ण व्यायाम है। इससे शरीर की मज़बूती, समन्वय और संतुलन तीनों बेहतर होते हैं।
– मांसपेशियों के सक्रिय होने और रक्तसंचार बढ़ने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है। इससे जोड़ों के दर्द समेत कई तरह की पीड़ाओं से बचाव होता है। मेटाबॉलिक रेट भी बढ़ता है।
– नियमित साइकल चालन से व्यक्ति में उम्र के साथ आने वाली समस्याओं की रफ़्तार धीमी हो जाती है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। यह बात एंटी एजिंग सेल्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से साबित हुई है। थाइमस नामक अंग जो टी-सेल्स नामक प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बनाता है, सामान्य रूप से 20 वर्ष की आयु के बाद सिकुड़ना शुरू हो जाता है, लेकिन साइकल चालकों के थाइमस युवाओं की तरह कई टी-सेल्स का उत्पादन करते पाए गए हैं।
– बीएमजे जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि नियमित साइकल चलाने से कैंसर और हृदय संबंधी रोगों की आशंका भी 45 फ़ीसदी तक कम हो जाती है।
– बढ़े हुए वज़न को कम करने के लिए भी साइकल चलाना एक बेहतर व्यायाम है। एक घंटे साइकल चलाने से लगभग 300 कैलोरी जलती हैं। यदि हम साइकल चलाने की अपनी क्षमता बढ़ाएं तो कैलोरी ज़्यादा जल सकती हैं।
– साइकल चलाना एक अच्छी कार्डियो एक्सरसाइज है, यह हृदय की क्षमता को बेहतर करती है। 20 साल से 93 साल तक के लोगों पर किए अध्ययन के अनुसार नियमित साइकल चलाने से हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है।
– शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण टाइप2 डायबिटीज़ के मरीज़ों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। फिनलैंड में हुए एक अध्ययन के हिसाब से 30 मिनट नियमित साइकल चलाने से टाइप2 डायबिटीज़ का ख़तरा 40 फ़ीसदी कम हो जाता है।
इसलिए जीवनशैली से जुड़े रोगों से बचने के लिए स्वस्थ व्यक्ति इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं तो उनके लिए यह बेहतर व्यायाम सिद्ध हो सकता है।
मन के लिए भी फ़ायदेमंद
सुबह-सुबह अगर हरियाली भरे वातावरण में साइकल चलाएं तो बड़ा सुकून मिलता है। व्यक्ति का मानसिक तनाव भी कम होता है। वायएमसीए के एक अध्ययन से पता चला है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले लोग, सक्रिय नहीं रहने वालों की तुलना में मानसिक तौर पर 32 फ़ीसदी ज़्यादा स्वस्थ रहते हैं। दरअसल, साइकल चलाने जैसी शारीरिक गतिविधि के दौरान एड्रेनलिन और एंडोर्फिंस हॉर्मोन के स्राव से आत्मविश्वास बढ़ता है तथा मूड अच्छा होता है। जब आप अकेले साइकल चलाते हैं, तो आपके मस्तिष्क में नए तरह के विचार आते हैं। इसी तरह अगर आप समूह में हैं तो आपको सामाजिक दायरा बढ़ाने का अवसर मिलता है।
विश्व साइकल चैंपियन रह चुके ग्रैम ओब्री के जीवन का अधिकांश समय डिप्रेशन में बीता, और वह साइकल ही है जिसने उन्हें इस स्थिति से बाहर निकाला। ग्रैम के अनुसार, साइकल चलाने से मानसिक तनाव दूर करने में मदद मिलती है। ग्रे सेल्स बेहतर होने से ब्रेन की एक्टिविटी में सुधार होता है। साइकल चलाते समय व्यक्ति को पूरी तरह एकाग्र होना पड़ता है तथा रास्तों का ध्यान रखते हुए सतर्कता बरतनी पड़ती है, इसलिए यह याददाश्त को भी दुरुस्त करने वाला व्यायाम है। नियमित साइकल चलाने से बुजु़र्गों में डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर की समस्या कम हो सकती हैै।
सैर से पहले सावधानी
साइकल कुछ लोगों के लिए एक सामान्य व्यायाम है तो कुछ इसे एक खेल की तरह लेते हैं और इसे लेकर काफ़ी जुनूनी होते हैं। जो लोग कई किलोमीटर साइकल चलाते हैं उन्हें अपने खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि साइकल चलाने से व्यक्ति के शरीर का मेटाबॉलिक रेट अर्थात चयापचय की दर तेज़ हो जाती है। ऐस में उचित पोषक आहार न लेने पर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आती हैं, जिनमें चिड़चिड़ाहट, कमज़ोरी आदि शामिल हैं। इसलिए साइकलिंग से पहले पर्याप्त कार्ब युक्त आहार लेना चाहिए, ताकि मेटाबॉलिक रेट बेहतर रहे।
अगर बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़ करें और खाना कम खाएं तो हडि्डयां भी कमज़ोर होने लगती हैं। महिला खिलाड़ियों में कई बार कम उम्र में पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं, तो पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की कमी होने लगती है।
– मोटापा बहुत ज़्यादा बढ़ गया है, तो सिर्फ़ वज़न कम करने के लिए खुले वातावरण में साइकल चलाना शुरू न करें। ऐसा करना फ़ायदेमंद के बजाय नुक़सानदेह हो सकता है। किसी फिज़ियोथैरेपिस्ट या डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही साइकल चलाने की शुरुआत करें।
– अगर डायबिटीज़ है तो भी साइकल चलाने के लिए खानपान की सतर्कता बरतनी ज़रूरी है, वरना शुगर का स्तर नीचे आने से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।
– सांस की बीमारी वालों को साइकल चलाने में दिक़्क़त होती है। उन्हें इससे बचना चाहिए, क्योंकि इसमें ज़्यादा ऊर्जा ख़र्च होती है और उन्हें सांस की तकलीफ़ हो सकती है। उन्हें पीडोसाइकल भी तभी चलाना चाहिए जब अस्थमा का अटैक न आया हो।
इनडोर या आउटडोर?
यह सच है कि खुली हवा में साइकल चलाने का अलग आनंद और विशिष्ट लाभ हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों में साइकल जिम, फिटनेस सेंटर या घर में ही चलाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है और सुरक्षित भी। जैसे कि यदि बॉडी मास इंडेक्स के हिसाब से वज़न काफ़ी ज़्यादा है तो जिम या घर में इनडोर साइकल चलाना फ़ायदेमंद हैै। लंबे समय तक शारीरिक सक्रियता न हो और किसी पार्क या सड़क पर साइकल चलाएंगे तो शरीर को कई तरह की परेशानी से गुज़रना पड़ सकता है। मांसपेशियों और घुटनों में दर्द की शिकायत हो सकती है, क्योंकि शरीर को इतनी सक्रियता की आदत नहीं है। मांसपेशियां वज़न के कारण कमज़ोर होती हैं।
अगर पहले शारीरिक रूप से सक्रिय थे, लेकिन व्यस्तताओं के कारण कुछ समय नहीं कर पाए और ओवरवेट हो गए तो पहले कुछ दिन सक्रियता बढ़ाइए। घुटनों की तकलीफ़ है, वज़न कम करना है तो वार्मअप और कूल डाउन के लिए साइकल चलाना फ़ायदेमंद है। वज़न कम करने के लिए जिम में ट्रेडमिल पर दौड़ने के बजाय इनडोर साइकल चलाना ज़्यादा फ़ायदेमंद है। शुरुआत 10 मिनट से करके 30 से 40 मिनट तक चला सकते हैं।
पीडोसाइकल भी है विकल्प
बुज़ुर्ग यदि इनडोर और आउटडोर दोनों ही साइकिल नहीं चला पाते हैं, तो उनके लिए पीडोसाइकल जिसे पैडल एक्सरसाइज़र कहते हैं बेहतर विकल्प है। इससे हार्ट की एक्टिविटी बेहतर होती है। जो सिर्फ़ घर में ही रहते हैं, चल-फिर नहीं सकते हैं, कुर्सी पर बैठकर ज़मीन या टेबल पर रखकर इसे चला सकते हैं। यह हमने हॉस्पिटल में आईसीयू से निकलकर आए मरीज़ों को चलाने को दी तो उनमें सुधार देखने को मिला। कोविड में भी हमने इसका इस्तेमाल किया। स्टडी में पाया कि यह मांसपेशियों को लचीला बनाने और शारीरिक संतुलन बनाने में मददगार होता है।
बहरहाल, जो भी व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है, साइकल चला सकता है। यानी साइकल चलाने के लिए आपका स्वस्थ होना ही एकमात्र शर्त है। ध्यान रहे कि इनडोर साइकल में किसी भी तरह का शारीरिक संतुलन बनाने की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि आउटडोर साइकल चलाने के लिए संतुलन की दरकार होती है। कोई भी पूरी तरह से फिट व्यक्ति 30 मिनट तक साइकल चलाकर एक संपूर्ण व्यायाम कर सकता है। फिट हैं और सही संतुलित आहार ले रहे हैं तो प्रतिदिन 60 मिनट तक साइकल भी चला सकते हैं।
लेखक परिचय
डॉ. सीमा ग्रोवर
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली में चीफ फिजियोथैरेपिस्ट। इस क्षेत्र में 29 सालों का अनुभव। क्लीनिकल एक्सीलेंस, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित। इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट, दिल्ली शाखा की संयुक्त सचिव।
0 टिप्पणियाँ