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यहां परिंदे करते हैं इंसानों से बात:इंदौर में आकार ले रही सेंट्रल इंडिया की सबसे बड़ी बर्ड एविएरी

इंदौर जू में  जल्द ही 11 से 12 नई प्रजाति के दुर्लभ पक्षी देखने को मिलेंगे। बड़े आकार के रंग बिरंगे मकाऊ, फ्लाइटलेस बर्ड रिया और इंद्रधनुषी रंगों वाली सुंदर रेनबो लॉरी इनमें सबसे खास हैं। कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में पक्षियों के लिए 1200 स्क्वायर फीट में बर्ड एविएरी बनाई गई गई है। इसे आम बोलचाल में पक्षी विहार का बर्ड हाउस कहते हैं। फिलहाल यहां 34 प्रजाति के तकरीबन 720 पक्षी हैं और जल्द ही 12 नई प्रजाति के पक्षी आने से यह तादाद हजार तक पहुंच जाएगी।

ये पक्षी इंसानों से बातें करते हैं। कंधे पर आकर बैठ जाते हैं। बहुत पास से भी निहारा जाए तब भी विचलित नहीं होते।

जानिए खासियत : दुनिया की चौथी लार्जेस्ट फ्लाइटलेस बर्ड है रिया

1. रिया : साउथ अमेरिका का सबसे बड़ा पक्षी रिया दुनिया का चौथा सबसे बड़ा फ्लाइटलेस बर्ड है। फ्लाइटलेस यानी यह उड़ नहीं सकता। शुतुरमुर्ग की तरह यह भी दौड़ता है। उड़ न पाने वाले लार्जेस्ट बर्ड्स की बात करें तो पहले नंबर पर है शुतुरमुर्ग। फिर ईमू, तीसरे नंबर है कैसोवरी जो सबसे खतरनाक पक्षी है। रिया चौथे नंबर पर है। शुतुरमुर्ग, ईमू और कैसोवरी जू में पहले से हैं। अब त्रिवेंद्रम जू से रिया को भी लाया जाएगा।

2. मिलिट्री और ग्रीन विंग्ड मकाऊ : पक्षी विहार में सबसे छोटी प्रजाति का ब्लू एंड गोल्ड मकाऊ है। अगस्त तक बड़े आकार के मकाऊ भी देखने को मिलेंगे। ये हैं मिलिट्री मकाऊ और ग्रीन विंग्ड मकाऊ। ग्रीन विंग्ड मकाऊ लाल और हरे रंग के पक्षी हैं जो मनुष्यों से जल्दी घुल मिल जाते हैं। ये मिलिट्री मकाऊ से थोड़े छोटे होते हैं। मिलिट्री मकाऊ मुंबई जू से और ग्रीन विंग्ड मकाऊ हैदराबाद ज़ू से लाए जाएंगे।
3. रेनबो लॉरी : इनके पंखों पर इंद्रधनुष के सब रंग नजर आते हैं, इसीलिए इन्हें रेनबो लॉरी नाम दिया गया है। ये बड़े झुंड में रहती हैं और इन्हें ज्यादा केयर की जरूरत होती है। इनका नेचर टैरिटोरियल होता है। ये अपने इलाके में अन्य प्रजाति के पक्षियों को आने नहीं देतीं।

देश की पहली ऐसी एविअरी जहां 4 कॉन्टीनेंट के पक्षी साथ रखे गए हैं
चिड़ियाघर में बना यह पक्षी विहार कई मायनों में खास है। अव्वल तो यह सेंट्रल इंडिया का सबसे बड़ा पक्षी विहार है। फिर यह देश का पहला बर्ड हाउस है, जहां चार कॉन्टिनेंट के पक्षी साथ रखे गए हैं। इसके लिए बहुत साइंटिफिक और टेक्निकल एप्रोच से जगह को डिजाइन करना पड़ता है, क्योंकि परिंदे भी टैरिटोरियल होते हैं। दूसरे कॉन्टिनेंट के पक्षियों के साथ उनकी फाइट हो सकती है। इसकी तीसरी खासियत यह है कि यहां आप परिंदों को सलाखों के बाहर से नहीं बल्कि बिना किसी बंधन के आसपास लगे पेड़ों पर चहकते, फल खाते देख सकते हैं। उन्हें छू सकते हैं। प्यार से हाथ पर बैठा सकते हैं। उनके साथ तस्वीरें खिंचा सकते हैं। चलने में असुविधा न हो और भीड़ न जुटे इसलिए इस बर्ड वॉक थ्रू में 200 फीट लंबा, 100 फीट चौड़ा और 35 फीट ऊंचा ट्रैक भी बनाया गया है।

साल के अंत तक देख सकेंगे बायसन और जेब्रा का जोड़ा
जू क्यूरेटर निहार पारुलेकर ने बताया कि साल के अंत तक कुछ नए वन्य प्राणी भी यहां लाए जाएंगे। एनिमल एक्सचेंज के तहत हमने सेंट्रल ऑथोरिटी को तीन प्रपोजल दिए हैं। इनमें पहला है जेब्रा का जोड़ा जो मुंबई जू से इंदौर लाया जाएगा, दूसरा है बायसन जो कैटल फैमिली का सबसे बड़ा एनिमल है और तीसरे हैं ये पक्षी जो बारिश के बाद आ जाएंगे। वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के कारण विहार में देशी पक्षी को रखाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए सिर्फ विदेशी पक्षी ही लाए जा रहे हैं।

10 लाख तक होती है एक मकाऊ की कीमत
- 1 करोड़ रुपए की लागत से दुर्लभ विदेशी पक्षी लाए गए हैं इस बर्ड हाउस में।
- उत्तरी अमेरिका के रंग बिरंगे पक्षी मकाऊ की कीमत 5 से 10 लाख रुपए तक होती है।
- चिड़ियाघर में फिलहाल 9 फीट लंबा शुतुरमुर्ग है। ये 80 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ते हैं। यहां 5 फीट लंबा और 50 किलो वजनी इमू भी है।

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