कई दौर की बैठकों और लंबी खींचतान के बाद आखिरकार इंदौर शहर भाजपा ने आज नगरीय निकाय चुनाव के लिए वार् प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसके लिए पार्टी कार्यालय में गुरुवार दिन के बाद रातभर मंथन चला।
आरक्षण के तहत वार्ड बदले जाने से इस बार कुछ चेहरों को मौका मिला है, तो कुछ पुराने पार्षदों का पत्ता ही साफ हो गया है। इसके अलावा दो से ज्यादा बार पार्षद रहने, गुटबाजी सहित कई कारण भी रहे। नए समीकरणों में पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ रही कुछ महिलाएं भी हैं। जिन दावेदारों को टिकिट नहीं मिले हैं, उनमें अब काफी नाराजगी है। संभव है कि इसका असर महापौर के चुनाव प्रचार पर भी पड़ सकता है।
भाजपा के ये हैं 85 वार्डों के प्रत्याशी
दिन चलता रहा बैठकों का दौर
वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री उषा ठाकुर, तुलसी सिलावट, मधु वर्मा, विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड, महेंद्र हार्डिया, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, जीतू जिराती, गोपी नेमा सहित कई नेताओं के समर्थकों को टिकिट के लिए काफी घमासान की स्थिति बनी। सुबह 6 बजे बैठकें चलती रही लेकिन ठोस नतीजा नहीं निकला। शुक्रवार सुबह 11 बजे बाद फिर रस्साकशी चली। नाराज नेताओं व समर्थकों की नाराजगी सोशल मीडिया पर छाई रही और जल्दी इस्तीफे देने की खबरें चलती रही। इन सभी स्थितियों के बीच शहर अध्यक्ष रणदिवे ने शुक्रवार दोपहर बाद प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी।
टिकट वितरण से पहले के 24 घंटे ऐसा रहा पूरा घटनाक्रम
- गुरुवार रात भर चले मंथन के बाद शहर अध्यक्ष रणदिवे शुक्रवार सुबह 8 बजे पार्टी कार्यालय से निकले।
- 11 बजे फिर से संगठन से जुड़े अधिकारियों ने बुलावा भेजा।
- विधायकों की आपसी खींचतान के कारण टिकट वितरण को लेकर हालात बिगड़ गए।
- लिस्ट पर आखरी विचार करीब 10 वार्ड ऐसे है जिसमे 2-2 लोगो को रखा गया है।
टिकट वितरण को लेकर इस्तीफे की तैयारी
राऊ विधानसभा वार्ड क्रमांक 80 राजेन्द्रनगर वार्ड मे सरकारी सेवा वाले को टिकिट देने के विरोध मे मंडल प्रभारी , मंडल उपाध्यक्ष, मंडल मंत्री , वार्ड संयोजक , वार्ड पालक , सभी बूथ अध्यक्ष , बूथ प्रभारियों द्वारा इस्तीफे देने की तैयारी कर ली गई। इधर, इंदौर विधानसभा एक में पार्षद टिकिट वितरण पर जारी असंतोष जारी को लेकर पदाधिकारियों ने इस्तीफा देने की तैयारी कर ली।
पार्षद का टिकट पाने ढाई हजार से ज्यादा आवेदन
इससे पहले महापौर पद के लिए चली लंबी रस्साकशी के बाद जब पुष्यमित्र भार्गव का नाम तय हुआ तो इसके बाद से ही पार्षद प्रत्याशियों को लेकर गहमागहमी बढ़ गई थी। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए पार्टी कार्यालय पर ही ढाई हजार से ज्यादा दावेदारो ने आवेदन दिए थे। इसके अलावा सांसद, विधायकों के पास भी लंबी फेहरिस्त थी। फिर अलग-अलग पैनलें बनी और नाम कम होते गए। फिर कोर कमेटी में भी इसे लेकर काफी मंथन हुआ। फिर भाजपा द्वारा जैसे ही सूची जारी की गई तो कई कार्यकर्ताओं के चेहरे खिले तो कइयों को चेहरे मुरझा गए। दरअसल, पुराने पार्षद अपनी कई उपलब्धियों के साथ दावेदारी के साथ थे। किसी ने कोरोना काल में किए गए कामों का हवाला दिया था तो किसी ने अपने वार्ड में लोगों को जोड़ने का काम करने का दावा किया था। कुछ ने अपने वार्ड में सड़क, पानी, टंकी, बोरिंग, बगीचे बनवाने के दावे के साथ टिकट मांगे थे। दूसरी ओर जिन्हें पहली बार टिकट मिला है वे अपनी वरिष्ठता, पार्टी में सक्रियता, मंडल अध्यक्ष या विधायक की सहमति जैसे आधार पर एप्रोच कर चुके थे।
इसके पूर्व इन नामों के लिए भी काफी मंथन चला। इसके लिए कई बार बैठकें हुई और हर वार्ड में तीन संभावित प्रत्याशियों की पैनल बनाई गई। फिर पार्टी की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों के नाम फाइनल किए गए। अब चूंकि चुनाव में काफी कम समय बचा है इसलिए प्रत्याशियों को मुख्य जोर अब जनसंपर्क पर है। इसके लिए अपने-अपने वार्ड के मतदाताओं को सोशल मीडिया के माध्यम से भी रिझाने की कोशिश की जाएगी।
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