राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मानव सेवा ही प्रभु सेवा है। सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। किसी की सेवा का अवसर ईश्वर की कृपा से ही मिलता है। उन्होंने कहा कि बच्चे गीली मिट्टी की तरह कोमल होते हैं। उनकी उचित देखभाल का दायित्व पालक और शिक्षक पर है। उनकी जिम्मेदारी है कि बच्चों को भेदभाव रहित वातावरण मिलें। सकारात्मकता के साथ वह समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने कहा कि बच्चों में पारस्परिक सहयोग, सद्भाव और नियमितता के गुणों के साथ ही पर्यावरण, ऊर्जा, जल-संरक्षण और स्वच्छता की आदत डालने और स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए सजग बनाने के प्रयास जरूरी हैं।
राज्यपाल श्री पटेल ने टेलीविजन के कार्यक्रम का दृष्टांत देते हुए कहा कि अनेक ऐसे दिव्यांगजन हैं, जिन्होंने शारीरिक अभावों अथवा कमजोरियों को प्रेरणा बना कर, दिव्यांगता को व्यक्तिगत विकास में सहयोगी बना लिया है। जीवन में सफलता के लिए साधन से ज्यादा सोच का होना महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मंत्र सबका विकास, साथ, विश्वास और प्रयासों से दिव्यांगजन के पुनर्वास के प्रयत्न किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री बनते ही मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ, पढ़ाओ और बढ़ाओ के प्रयासों को व्यापक स्वरूप प्रदान किया।
एस.ओ.एस. विलेज ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री राकेश जिन्सी ने बताया कि बालग्राम खजुरीकलाँ में स्थापित एस.ओ.एस. चिल्ड्रन विलेज पूरे विश्व में अनूठे दो गाँवों में से पहला है। उन्होंने बताया कि 1964 में भारत में स्थापना से अब तक 7,500 बच्चों की देखभाल की गई है। परिवार सशक्तिकरण कार्यक्रम में 30 हजार बच्चों की परवरिश की जा रही है। उन्होंने संस्था को राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे सहयोग के प्रति आभार ज्ञापित किया।
बालग्राम खजुरीकलाँ के निदेशक श्री धीरज कुमार ने बताया कि बालग्राम में दिव्यांगता अनुसार विशेष शिक्षण और शारीरिक अक्षमता के अनुरूप विभिन्न प्रकार की थेरेपी की व्यवस्था है। संस्था दिव्यांग पुनर्वास प्रयासों में भी सहयोग करती है। सहायक निदेशक एस.ओ.एस. बालग्राम श्री बी.पी. मतकर ने आभार माना। प्रारंभ में राज्यपाल सहित अतिथियों ने एस.ओ.एस. बालग्राम के संस्थापक डॉ. हर्मन माईनर की प्रतिमा का पूजन किया।
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