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इंदौर उत्थान अभियान की बैठक:2035 में मिनी और 2050 में मेगा सिटी के अनुरूप बने मास्टर प्लान

मास्टर प्लान पर परिचर्चा। - Dainik Bhaskar

मास्टर प्लान पर परिचर्चा।
  • प्रबुद्धजन ने प्लान के लिए कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया, साथ ही कई सुझाव भी दिए

शहर का मास्टर प्लान मेट्रोपोलिटन अथॉरिटी के अनुरूप बनाने और 2050 में संभावित 1 करोड़ आबादी के लिहाज से सुविधाएं जुटाने वाला हो। ऐसा न हो कि नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव के बाद अचानक सरकार मास्टर प्लान का प्रारूप प्रकाशित कर दे और किसी आपत्ति व सुझाव को उसमें समायोजित करने का मौका ही न मिले।

शहर हित में इसके लिए तत्काल अभियान शुरू करना होगा। यह बात इंदौर उत्थान अभियान की मंगलवार शाम हुई बैठक में मौजूद वक्ताओं व शहर के प्रबुद्धजन ने कही। सबकी चिंता इसी बात को लेकर थी कि पहले की तरह अचानक मास्टर प्लान न आ जाए, जिसमें शहर के प्रमुख मुद्दे और भविष्य की योजनाओं का समावेश न हो सके। इसलिए मतगणना होते ही इंदौर और भोपाल में अलग-अलग स्तर पर मंत्री व मुख्यमंत्री से मुलाकात, जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू किया जाए।

प्रयास ये भी हों कि इस बार बहुत देरी न हो और प्लान सही समय पर जारी हो जाए। बैठक में अजीत सिंह नारंग, प्रीतमलाल दुआ, वीके जैन, गौतम कोठारी, गोविंद मालू, राजेश अग्रवाल, महेश राजवैद्य, श्रीनिवास कुटुंबले, अशोक कोठारी, शिवाजी मोहिते आदि मौजूद थे। बैठक की अध्यक्षता दिनेश गुप्ता ने की

सुझाव : देश-दुनिया के श्रेष्ठ सिटी प्लानर को प्लान बनाने के लिए चयनित करें

  • देश और दुनिया के श्रेष्ठ सिटी प्लानर को प्लान बनाने के लिए चयनित करें। इसके साथ ही सरकार मास्टर प्लान सलाहकार समिति का गठन करे।
  • 2035 में संभावित 50 लाख आबादी के लिए मिनी मेगा सिटी प्लान और 2050 में संभावित मेगा सिटी के हिसाब से योजनाएं बनें, ताकि बार-बार तोड़फोड़ की नौबत न आए।
  • मास्टर प्लान से पहले मेट्रोपॉलिटन सिटी व अथॉरिटी बने, जिसमें शहर का विस्तार महू, देवास के अलावा घाटा बिल्लाैद, उज्जैन रोड तक हो सके। इसके बाद शहर की सीमा 1690 वर्ग किमी तक हो सकती है।
  • जोनल व सेक्टर प्लान पर ठोस काम हो, पिछली मर्तबा जोनल कमेटियां ही नहीं बन सकीं।
  • टीडीआर पॉलिसी क्लियर हो, जो जमीन दे रहा है, उसे अधिग्रहण के बदले टीडीआर जैसे लाभ अनिवार्यत: मिलना चाहिए।
  • कांक्रीट में बदलते शहर में पर्यावरण बचाने के लिए अव्यवाहारिक प्रावधानों को खत्म करें और आमोद-प्रमोद के लिए प्रोजेक्ट पर भी काम करें।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यावरण, वन्य क्षेत्र, नदी-नाले, ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए प्लान में ऐसे कड़े प्रावधान किए जाएं कि इनके साथ भविष्य में छेड़छाड़ न हो सके।
  • मास्टर प्लान के हर प्रावधान के लिए समयसीमा भी निर्धारित हो, ताकि हर काम संबंधित एजेंसी जिम्मेदारी के साथ करे।
  • सभी मेजर रोड्स और लिंक रोड्स के निर्माण के लिए अभी से जमीनें सुरक्षित रखी जाएं।

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