इस साल सावन का महीना 29 दिन का रहेगा। सावन मास 14 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक रहेगा। इस बार सावन की पूर्णिमा दो दिन रहेगी। इसलिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनेगा और 12 तारीख को स्नान-दान का पर्व रहेगा। श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना होता है। इस दौरान की गई शिव आराधना से हर तरह के दोष खत्म होते हैं।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे। जिनमें 25 जुलाई को प्रदोष का महासंयोग बनेगा। साथ ही इस महीने पांच गुरुवार भी रहेंगे। ये अपने आप में बड़ा शुभ संयोग है और अच्छा संकेत भी है। सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को और आखिरी 8 अगस्त को रहेगा।
सावन के हर सोमवार पर शुभ संयोग
पहला - 18 जुलाई - शोभन और रवियोग
दूसरा - 25 जुलाई - सर्वार्थसिद्धि योग और सोम प्रदोष
तीसरा - 1 अगस्त - प्रजापति और रवियोग
चौथा - 8 अगस्त - पद्म और रवियोग
श्रवण नक्षत्र की वजह से महीने का नाम श्रावण पड़ा, यह 22वां नक्षत्र
डॉ. मिश्र का कहना है कि सावन मास को यह नाम श्रवण नक्षत्र की वजह से मिला है। श्रवण हिंदू पंचांग की कालगणना में उपयोग में आने वाले 27 नक्षत्रों में से 22वां नक्षत्र है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है। श्रावण मास को हिंदू कैलेंडर का पवित्र महीना माना गया है।
सोमवार को शिव पूजा करने वाली कुंवारी लड़कियों को मनवांछित वर प्राप्त होता है। वहीं पुरुषों को भी उनकी पसंद की कन्या मिलती है। इसलिए यह कहा गया है कि जिनके विवाह आदि में रुकावट आ रही हो, उन्हें निश्चित रूप से सावन के सोमवार का व्रत करना चाहिए।
शिवजी लेते हैं संसार चलाने की जिम्मेदारी
हिंदू कैलेंडर में सावन को पवित्र महीनों में एक माना जाता है। क्योंकि शिवपुराण में कहा गया है कि सावन में भगवान शिव-पार्वती की पूजा से मनोकामना पूरी होती है और हर तरह के दोष भी खत्म हो जाते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि सावन के महीने में सृष्टि के संचालनकर्ता भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में संसार को चलाने की जिम्मेदारी शिवजी ले लेते हैं। इसलिए सावन महीने के देवता भगवान शिव कहे गए हैं। पूरे महीने भक्त शिवजी की पूजा करते हैं।
सावन में ही देवी पार्वती ने किया था तप
पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन मास को महादेव का महीना माना गया है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्यागा था। उससे पहले उन्होंने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अगले जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन महीने में कठोर व्रत कर भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया था। तब से महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया।
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