सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा करने की परंपरा है। इसे नाग पंचमी कहा जाता है। इस बार ये त्योहार मंगलवार, 2 अगस्त को है। शिव जी नाग देवता को अपने गले में धारण करते हैं। शिवलिंग के साथ नाग प्रतिमा भी अनिवार्य रूप से रखी जाती है। इस पर्व पर जीवित सांप की पूजा करने से बचना चाहिए। इस दिन नाग देव की प्रतिमा या तस्वीर की ही पूजा करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक शास्त्रों में देवी-देवताओं, मनुष्यों, राक्षसों, किन्नर, गंधर्व के साथ ही नागों के संबंध में भी कई कथाएं बताई गई हैं। सृष्टि पाताल लोक, मृत्यु लोक की तरह ही नाग लोक भी बताया है। सनातन धर्म में पक्षी और पशुओं को भी पूजने की परंपरा है, क्योंकि ये सभी प्राणी भी पर्यावरण को संतुलित रखने में सहायक होते हैं। इसी वजह से नागों को भी पूजनीय माना गया है।
सांप चूहों से बचाते हैं हमारा अनाज
पं. शर्मा के मुताबिक अगर चूहों की संख्या बहुत अधिक हो जाए तो हमारा पूरा अनाज नष्ट हो जाएगा। सांप चूहों को खा जाते हैं। सांपों की वजह से ही चूहों की संख्या संतुलित रहती है और हमारी फसलें बची रहती हैं। सांप के इस उपकार की वजह से भी सांपों को पूजने की परंपरा है।
कभी भी जीवित सांप की पूजा न करें
सांप जहरीला होता है और इसके डंसने से इंसान की मौत भी हो सकती है। इसलिए जीवित से दूर ही रहना चाहिए। नाग पंचमी पर नाग देव की प्रतिमा की पूजा करें। जीवित सांप को न तो दूध पिलाएं और न ही उसकी पूजा करें। दूध सांपों के लिए जहर की तरह होता है। दूध की वजह से सांप मर भी सकते हैं। इस तरह जीव हत्या का पाप दूध पिलाने वाले व्यक्ति को भी लगता है। इसलिए किसी शिव मंदिर में या नाग मंदिर में नाग देव की पूजा करें।
नाग पूजा में ध्यान रखें ये बातें
नाग पूजन में हल्दी का उपयोग खासतौर पर करना चाहिए। नाग मंदिर में धूप, दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। नारीयल अर्पित करें। इस दिन सपेरों को वस्त्रों का, अनाज और धन का दान कर सकते हैं, ताकि उन्हें भी नाग पंचमी पर कुछ लाभ हो सके।
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